नई दिल्ली, 6 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
इस साल सोना और चांदी (Gold एंड Silver) दोनों ने निवेशकों को उम्मीद से कहीं अधिक रिटर्न दिया। जहां सोने ने लगभग 34% का रिटर्न दिया, वहीं चांदी ने 40–47% तक की तेजी दिखाई। औसतन देखा जाए तो दोनों धातुओं ने मिलकर करीब 45% रिटर्न दिया है।
रुपये की कमजोरी का असर
भारतीय रुपये ने इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की। सितंबर की शुरुआत में रुपया ₹88.33 प्रति डॉलर तक कमजोर हो गया। डॉलर में गिरावट के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना और चांदी महंगे हुए और जब यह भारत पहुंचे तो रुपये की कमजोरी ने इनकी कीमतों को और ऊपर धकेल दिया।
50% टैरिफ और जियो-पॉलिटिकल टेंशन
अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने ग्लोबल मार्केट में असमंजस बढ़ाया। इसके साथ ही जियो-पॉलिटिकल तनाव और अमेरिका में फेडरल रिजर्व की नीतियों को लेकर अनिश्चितता ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्प (Safe Haven) की ओर मोड़ा। नतीजा यह रहा कि सोना और चांदी की मांग बढ़ी और इनके भाव नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए।
चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड
चांदी की चमक केवल निवेश के लिहाज से ही नहीं, बल्कि इंडस्ट्रियल डिमांड की वजह से भी बढ़ी है। इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे सेक्टर्स में चांदी की खपत लगातार बढ़ रही है। 2024 में इंडस्ट्रियल डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर रही और 2025 में इसके और ऊपर जाने की उम्मीद जताई जा रही है। यही वजह है कि चांदी की कीमतों में सोने की तुलना में ज्यादा तेजी दिखी।
करेक्शन की संभावना
विश्लेषकों का मानना है कि तेज उछाल के बाद अब सोने और चांदी की कीमतों में शॉर्ट-टर्म करेक्शन देखने को मिल सकता है। निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली करने और बाजार में स्थिरता लाने की जरूरत से थोड़ी गिरावट संभव है। हालांकि, लंबी अवधि में डॉलर की कमजोरी और बढ़ती इंडस्ट्रियल डिमांड इनकी कीमतों को मजबूती देती रहेगी।
- सोना ~34% और चांदी ~40–47% तक चढ़े।
- रुपये की कमजोरी और डॉलर की गिरावट ने कीमतें बढ़ाईं।
- 50% टैरिफ और जियो-पॉलिटिकल तनाव ने सुरक्षित निवेश की ओर रुझान बढ़ाया।
- चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड ने इसे और मजबूत बनाया।
- निकट भविष्य में करेक्शन संभव, लेकिन दीर्घकाल में रुझान सकारात्मक।
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