लखनऊ, 22 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
उत्तर प्रदेश (UP) सरकार ने खाद की कालाबाजारी और किसानों को समय पर उर्वरक न मिलने से जुड़ी शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने तीन जिलों के जिला कृषि अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इनमें श्रावस्ती जिला प्रमुख रूप से शामिल है।
यह कार्रवाई उन शिकायतों के बाद की गई है जिनमें किसानों ने आरोप लगाया था कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से खाद का अवैध भंडारण, बिचौलियों को प्राथमिकता और कृत्रिम कमी पैदा कर ऊंचे दामों पर बिक्री की जा रही थी।
सरकार ने जताई सख्ती
कालाबाजारी और वितरण में अनियमितताओं पर सरकार का सख्त रुख अपनाते हुए राज्य के कृषि मंत्री ने कहा, “किसानों के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी या शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और यदि ज़रूरत पड़ी तो आपराधिक मुकदमे भी दर्ज किए जाएंगे।”
जांच में सामने आईं गंभीर अनियमितताएं
सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि संबंधित अधिकारियों ने खाद वितरण रजिस्टरों में हेरफेर, रिटेल दुकानों से सांठगांठ, और स्टॉक की झूठी रिपोर्टिंग जैसे गंभीर गड़बड़ी की। इसके चलते कई क्षेत्रों में किसानों को घंटों कतार में खड़े रहने के बावजूद खाद नहीं मिल पाई।
किसानों में आक्रोश
घोटाले से प्रभावित क्षेत्रों में किसानों में भारी नाराजगी है। श्रावस्ती समेत कई जिलों में प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने की घटनाएं हुई हैं। किसानों की मांग थी कि दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो और खाद वितरण की निगरानी पारदर्शी तरीके से की जाए।
सरकार ने संबंधित मामलों की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं और सभी जिलों को निर्देशित किया है कि खाद की डिजिटल निगरानी प्रणाली को सख्ती से लागू किया जाए। साथ ही, खाद की आपूर्ति और वितरण पर स्थानीय प्रशासन, कृषि विभाग और सहकारी समितियों को सामूहिक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है।
यूपी सरकार का यह कदम राज्य के किसानों को राहत देने और कृषि व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह की सख्ती जारी रही तो खाद वितरण प्रणाली में सुधार संभव है और किसानों का भरोसा सरकार पर और मजबूत होगा।
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