नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत के कपास किसानों के लिए यह खरीफ सीजन निराशा भरा साबित हो रहा है। सरकार द्वारा शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दिए जाने के बाद घरेलू बाजार में कपास के दाम एमएसपी (₹7,121 प्रति क्विंटल) से नीचे गिर गए हैं। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात की मंडियों में किसानों को अपनी फसल औसतन ₹6,400–₹6,800 प्रति क्विंटल में बेचनी पड़ रही है।
किसानों का कहना है कि घरेलू उत्पादन बढ़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सस्ती आयातित कपास आने से स्थानीय मांग कमजोर हो गई है। इससे किसानों की आय पर सीधा असर पड़ा है।
पंजाब के बठिंडा जिले के किसान हरदेव सिंह ने बताया, “हमने पूरे साल की मेहनत से कपास उगाई, लेकिन अब दाम एमएसपी से नीचे हैं। हमें ₹6,500 प्रति क्विंटल दर मिली, जबकि हमारी लागत ₹7,500 से भी ज़्यादा है।”
हरियाणा की सिरसा मंडी में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। किसान राजवीर ढिल्लों ने कहा, “सरकार ने आयात पर शुल्क हटा दिया ताकि टेक्सटाइल उद्योग को सस्ती कच्ची सामग्री मिल सके, लेकिन इसका सीधा नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है।”
किसानों का आरोप है कि आयात नीति में असंतुलन और बफर स्टॉक नीति की कमी के कारण घरेलू उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा में नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस साल देश में कपास उत्पादन लगभग 325 लाख गांठों तक पहुँच सकता है, जो पिछले वर्ष से थोड़ा ज़्यादा है। वहीं, वैश्विक बाजारों में अमेरिकी और अफ्रीकी कपास के दाम गिरने से भारतीय व्यापारियों ने सस्ती विदेशी कपास का आयात तेज़ कर दिया है।
कृषि मामलों के जानकर बताते हैं, “सरकार को चाहिए कि वह घरेलू किसानों के हित में आयात पर अस्थायी सीमा शुल्क फिर से लगाए। जब तक मंडियों में दाम एमएसपी से ऊपर नहीं आते, तब तक किसानों को सुरक्षा दी जानी चाहिए।”
महाराष्ट्र और तेलंगाना के कपास उत्पादकों ने भी शिकायत की है कि इस बार कपास का भाव ₹6,300–₹6,600 प्रति क्विंटल के बीच झूल रहा है। किसानों का कहना है कि मौसम की मार, कीट प्रकोप और बढ़ती लागत के बीच यह गिरावट उनकी आय को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया कॉटन एसोसिएशन (FAICA) के एक अधिकारी ने बताया कि “आयात पर शुल्क हटाने का फैसला टेक्सटाइल उद्योग के दबाव में लिया गया। सरकार को अब किसानों के लिए कीमत स्थिरीकरण फंड और न्यूनतम खरीद हस्तक्षेप जैसी नीतियों पर तुरंत काम करना चाहिए।”
किसानों की माँग:
कपास पर शुल्क-मुक्त आयात नीति पर पुनर्विचार किया जाए।
मंडियों में एमएसपी पर खरीदी सुनिश्चित की जाए।
केंद्र सरकार कपास के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सक्रिय खरीद शुरू करे।
किसान कहते हैं, “हमने देश के कपड़ा उद्योग को खड़ा किया, लेकिन अब वही नीति हमारे नुकसान का कारण बन रही है। हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे साथ न्याय करेगी।”