चंडीगढ़, 24 अक्तूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देश में पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण संकट को देखते हुए SAEL Industries ने एक सराहनीय पहल की है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह इस वर्ष 2 मिलियन टन धान अवशेष (Paddy Stubble) की खरीद करेगी और इसे अपने वेस्ट-टू-एनर्जी (Waste-to-Energy) प्लांट्स में उपयोग करेगी।

यह कदम न केवल किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान करेगा बल्कि कृषि अपशिष्ट से स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का नया मार्ग भी खोलेगा। कंपनी ने देशभर में 11 वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्र स्थापित किए हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता लगभग 165 मेगावॉट (MW) है। इन संयंत्रों में फसल अवशेष, विशेष रूप से धान और गेहूं की पराली का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा।

कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, किसानों को अवशेष बेचने पर अतिरिक्त आय का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इससे खेतों में मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और खुले में पराली जलाने से होने वाला धुआँ और कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा।

SAEL Industries के चेयरमैन ने बताया, “हमारा लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय बढ़ाने — दोनों को साथ लेकर चलना है। आने वाले वर्षों में हम इस मॉडल को पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में और विस्तार देंगे।”

पराली-आधारित ऊर्जा उत्पादन से प्रदूषण में कमी, रोजगार सृजन और ग्रामीण स्तर पर हरित अर्थव्यवस्था के विकास की संभावना बढ़ेगी। यह पहल सरकार के ‘नेट-ज़ीरो उत्सर्जन’ लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कुलमिलाकर, कंपनी की इस पहल को खुले में पराली जलाने की प्रवृत्ति को कम करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे किसानों को अतिरिक्त आय का लाभ मिलने के अलावा मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करने में भी मदद मिलेगी।

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