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चंडीगढ़, 03 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो):

पंजाब सरकार ने पराली जलाने (Stubble Burning) की गंभीर समस्या से निपटने के लिए वर्ष 2025 में 80–85% तक ठठेट जलाने की घटनाओं को घटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों को 1.48 लाख से अधिक अवशिष्ट प्रबंधन यंत्र, जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर, और मुल्चर प्रदान किए हैं।

पराली जलाना: एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती

हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीनों में उत्तर भारत विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है, जिसका एक बड़ा कारण पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाना होता है। यह न केवल वायु गुणवत्ता को बिगाड़ता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाता है।

सरकार की योजना: समाधान की ओर एक कदम

पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने बताया कि इस बार राज्य सरकार “नो बर्निंग” अभियान को बड़े पैमाने पर चला रही है। किसानों को न केवल यंत्र दिए जा रहे हैं, बल्कि पराली प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण, जागरूकता कार्यक्रम और प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।

“हमारा उद्देश्य केवल पराली जलाना रोकना नहीं है, बल्कि किसानों को इसका पर्यावरण-अनुकूल समाधान देना है।”
— गुरमीत सिंह खुडियां , कृषि मंत्री, पंजाब

1.48 लाख अवशिष्ट प्रबंधन यंत्रों का वितरण

सरकार ने बताया कि अब तक कुल 1.48 लाख यंत्र किसानों और कस्टम हायरिंग सेंटर्स को वितरित किए जा चुके हैं। इन यंत्रों की सहायता से किसान बिना पराली जलाए खेत की जुताई और अगली फसल की बुआई कर सकते हैं।

किसानों को मिल रहा है लाभ

कई किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान किए गए यंत्रों की मदद से न केवल खेत की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि उन्हें बुआई के लिए अतिरिक्त समय भी मिलता है। इसके अलावा, मिट्टी की नमी बनी रहने से सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है।

हालांकि सरकार के प्रयास सराहनीय हैं, फिर भी कुछ इलाकों में जागरूकता की कमी और संसाधनों की सीमित उपलब्धता अब भी चुनौती बनी हुई है। इसके लिए कृषि विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष अभियान चला रहा है ताकि हर किसान तक ये सुविधाएं पहुंच सकें।

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