चंडीगढ़, 22 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): पंजाब में किसानों को सब्सिडी वाले यूरिया और डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के साथ जबरन अन्य उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किए जाने की शिकायतें बढ़ रही हैं। इस “टैगिंग” प्रथा को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसानों के साथ ऐसी जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

लुधियाना दौरे के दौरान मंत्री चौहान ने बताया कि किसानों के एक समूह ने उनसे मुलाकात कर शिकायत की कि उर्वरक विक्रेता और कृषि समितियाँ सब्सिडी वाले बैग देते समय नैनो यूरिया या नैनो डीएपी की बोतलें खरीदने के लिए मजबूर कर रही हैं। किसानों का कहना है कि ये उत्पाद अक्सर बेकार साबित होते हैं और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) भी इनकी अनुशंसा नहीं करता।

एक किसान ने बताया, “आलू की बुआई के समय जब हम यूरिया या डीएपी के पाँच बैग लेते हैं, तो हमें 220 रुपये प्रति बोतल नैनो यूरिया या नैनो डीएपी भी खरीदनी पड़ती है। बिना खरीदे हमें सब्सिडी वाला स्टॉक नहीं दिया जाता।”

किसानों के अनुसार, 50 किलो के डीएपी बैग की कीमत लगभग ₹1,350 और 45 किलो के यूरिया बैग की कीमत ₹250 होती है। लेकिन इसके साथ जबरन ₹220 की बोतलें खरीदनी पड़ती हैं। कुछ जगहों पर सल्फर या ज़िंक की बोतलें भी टैग करके दी जा रही हैं।

किसान अमरिंदर सिंह ने कहा, “कई कृषि समितियाँ दावा करती हैं कि उन्हें ऐसे टैग किए गए स्टॉक ही भेजे जाते हैं। लेकिन यह पता लगाया जाना चाहिए कि ये उत्पाद किसके निर्देश पर जोड़े जा रहे हैं, क्योंकि सब्सिडी वाला यूरिया और डीएपी केंद्र से भेजा जाता है।”

जैसे-जैसे गेहूँ की बुवाई का समय (अक्टूबर से नवंबर) करीब आ रहा है, यूरिया की मांग बढ़ती जा रही है। किसान पहले से ही स्टॉक जुटाने में लगे हैं, लेकिन बाजार में उर्वरक की कमी और कालाबाज़ारी की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है और चेतावनी दी है कि जो भी विक्रेता टैगिंग या कालाबाज़ारी में लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

किसानों का कहना है कि हर बुवाई सीजन में यही हालात बनते हैं—पहले उर्वरक की कमी, फिर ब्लैक मार्केटिंग और अब टैगिंग का नया दबाव। उनका मानना है कि यह किसानों को सब्सिडी वाले उत्पादों से दूर करने और निजी उत्पादों की बिक्री बढ़ाने की रणनीति हो सकती है।

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