नई दिल्ली, 19 नवंबर कृषि भूमि ब्यूरो): देशभर के किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण राहत देते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में बड़े संशोधन किए हैं। अब जंगली जानवरों और धान की बाढ़ से होने वाले फसल नुकसान को भी योजना के तहत बीमा कवर मिलेगा। कृषि मंत्रालय ने घोषणा की है कि यह नया ढांचा खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू होगा।
यह बदलाव उन किसानों के लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को देखते हुए किया गया है, जिन्हें हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जानवरों से बार-बार फसल नुकसान झेलना पड़ता था लेकिन उन्हें बीमा दावा नहीं मिलता था।
PMFBY में अब क्या बदला?
कृषि मंत्रालय के अनुसार जंगली जानवरों के हमलों से होने वाले नुकसान को अब PMFBY के स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के तहत पाँचवें अतिरिक्त कवर के रूप में शामिल किया जाएगा। वर्षों से कई राज्य ऐसे नुकसान को बीमा में शामिल करने की मांग कर रहे थे।
इसके साथ ही धान की बाढ़ से होने वाले नुकसान को भी पुनः बीमा कवर में जोड़ा गया है। 2018 में आकलन संबंधी समस्याओं के कारण इसे हटा दिया गया था, लेकिन अब विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद इसे बहाल कर दिया गया है।
किसान फसल नुकसान की रिपोर्ट कैसे करेंगे?
नई व्यवस्था में दावा दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और समयबद्ध होगी।
किसान को:
- 72 घंटों के भीतर नुकसान की सूचना देनी होगी।
- PMFBY या फसल बीमा ऐप के माध्यम से जियोटैग की गई तस्वीरें अपलोड करनी होंगी।
- राज्य सरकारें उन जंगली जानवरों की सूची तैयार करेंगी जिनसे नुकसान होता है, और ऐसे संवेदनशील जिलों की पहचान करेंगी।
यह तकनीक-आधारित व्यवस्था दावा निपटान को तेज, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएगी।
धान की बाढ़ कवरेज फिर शुरू
सरकार ने बाढ़ और जलमग्नता से धान को होने वाले नुकसान को भी बीमा कवर में वापस शामिल कर लिया है। यह निर्णय विशेष रूप से तटीय और बाढ़-प्रवण इलाकों के किसानों के लिए बड़ी राहत है, जहां हर साल भारी बारिश और नदियों के उफान से धान की फसल नष्ट हो जाती है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें स्वीकार करते हुए इस कवर को फिर से लागू करने की मंजूरी दी है।
किन राज्यों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?
यह संशोधित योजना उन राज्यों के किसानों के लिए महत्वपूर्ण है जहां मानव–वन्यजीव संघर्ष अधिक है या बाढ़ की समस्या गंभीर रहती है। इनमें शामिल हैं – ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तराखंड।
इसके अलावा पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों – असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश—को भी धान की बाढ़ और जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान के कवर से बड़ा लाभ मिलेगा।
सरकार का मानना है कि इन परिवर्तनों से जमीनी स्तर पर फसल क्षति झेलने वाले किसानों को अधिक सुरक्षा और समय पर मुआवजा मिलेगा, जिससे कृषि क्षेत्र में जोखिम कम होगा और किसान अधिक आत्मविश्वासी बनेंगे।
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