मूंगफली किसान ने दी जामनगर स्टेशन उड़ाने की धमकी, सही दाम न मिलने से था परेशान, पुलिस ने किया गिरफ्तार


अहमदाबाद, 3 दिसंबर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): गुजरात के जामनगर ज़िले में, मूंगफली की कम क़ीमतों से नाराज़ एक किसान द्वारा रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी देने का मामला सामने आया है। यह घटना किसानों की गंभीर आर्थिक चुनौतियों और अपने उत्पादों का उचित मूल्य न मिलने पर बढ़ते आक्रोश को दर्शाती है।

पुलिस के अनुसार, किसान ने कथित तौर पर एक अज्ञात नंबर से रेलवे अधिकारियों को फ़ोन किया और धमकी दी कि यदि उसे उसकी उपज मूंगफली का सही दाम नहीं मिला, तो वह जामनगर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ा देगा। यह धमकी मिलने के तुरंत बाद, रेलवे और स्थानीय पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया।

तत्काल, रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई और सघन तलाशी अभियान (search operation) चलाया गया। हालांकि, तलाशी में कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।

किसान की पहचान और गिरफ्तारी

साइबर और तकनीकी टीम की मदद से पुलिस ने उस अज्ञात फ़ोन नंबर को ट्रैक किया, जिससे धमकी दी गई थी। जाँच के बाद, पुलिस ने जामनगर ज़िले के एक किसान को गिरफ़्तार किया।

पूछताछ में यह सामने आया कि किसान ने यह अतिवादी कदम निजी दुश्मनी या आतंकवादी गतिविधि के इरादे से नहीं, बल्कि सल की कम क़ीमतों से उपजे अत्यधिक तनाव और निराशा के कारण उठाया था। उसका उद्देश्य प्रशासन और सरकार का ध्यान मूंगफली के गिरते बाज़ार मूल्य की ओर खींचना था।

मूंगफली किसानों की समस्या

गुजरात, मूंगफली उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस वर्ष भी बंपर फसल होने के बावजूद, बाज़ार में मूंगफली की क़ीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे गिर गई हैं।

  • कम उत्पादन मूल्य: किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल बेचने पर लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है।

  • आर्थिक तंगी: कम क़ीमतों के कारण किसानों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ रहा है, जिससे वे हताश और निराश हैं।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने किसान गोविन्द सिंह परमार के ख़िलाफ़ IPC (भारतीय दंड संहिता) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज़ किया है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि भले ही किसान का इरादा विरोध जताना हो, लेकिन इस तरह की झूठी धमकियाँ देना और जनता में दहशत फैलाना एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: जब किसान अपनी मेहनत की उपज का उचित मूल्य पाने के लिए हर संवैधानिक रास्ता अपना चुके होते हैं और उन्हें न्याय नहीं मिलता, तो वे इस तरह के हताशा भरे और ग़ैर-कानूनी कदम उठाने को मजबूर क्यों हो जाते हैं? यह मामला सिर्फ एक किसान की गिरफ़्तारी का नहीं है, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र में गहरी होती आर्थिक अस्थिरता की ओर इशारा करता है। सरकार और कृषि मंडियों को मूंगफली जैसे महत्वपूर्ण फसलों के मूल्य निर्धारण और खरीद प्रक्रिया में सुधार लाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि अन्नदाता को सम्मान और उसकी मेहनत का सही दाम मिल सके।

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