नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक दलहन की खेती का रकबा 2.75 करोड़ हेक्टेयर से बढ़ाकर 3.1 करोड़ हेक्टेयर करना है। उन्होंने कहा कि यह पहल दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के तहत की जा रही है, जिसे हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत गेहूं और चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है, लेकिन दलहन के क्षेत्र में अभी आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी बाकी है।”
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन: मुख्य उद्देश्य
यह मिशन 2025-26 से 2030-31 तक छह वर्षों में लागू किया जाएगा, जिसका कुल बजट ₹11,440 करोड़ रखा गया है। इसके तहत निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना है:
- खेती का रकबा: 2.75 करोड़ हेक्टेयर से बढ़ाकर 3.1 करोड़ हेक्टेयर
- उत्पादन: 24.2 मिलियन टन से बढ़ाकर 35 मिलियन टन
- उत्पादकता: 880 किलोग्राम/हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम/हेक्टेयर
चुनौतियाँ क्या हैं?
वर्ष 2024-25 में भारत ने रिकॉर्ड 7.34 मिलियन टन दालों का आयात किया। जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता है, फिर भी उसकी कुल खपत का 15-18% आयात से पूरा होता है। दालें मुख्य रूप से अफ्रीका, म्यांमार, मोज़ाम्बिक, कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया से आयात की जाती हैं।
चौहान ने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार को स्थानीय उत्पादन और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ानी होगी।
योजनाएँ और लाभ
- किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की मिनी किट दी जाएँगी
- 1.26 करोड़ क्विंटल प्रमाणित बीज और 88 लाख निःशुल्क बीज किट वितरित की जाएंगी
- कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-अनुकूल किस्मों का विकास किया जाएगा
- 1,000 दलहन प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी, हर इकाई को ₹25 लाख की सब्सिडी मिलेगी
बता दें, प्रधानमंत्री 11 अक्टूबर को पूसा परिसर, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का औपचारिक शुभारंभ करेंगे।
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