सरसों की बुआई रिकॉर्ड स्तर पर; चीन की बढ़ती मांग और अनुकूल मौसम से मिला सपोर्ट

नई दिल्ली, 7 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देश में सरसों की बुआई ने इस साल रिकॉर्ड स्तर छू लिया है। कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 41 लाख हेक्टेयर में बुआई की जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 13.5% अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह उछाल मुख्य रूप से चीन की बढ़ती मांग और देशभर में अनुकूल मौसम परिस्थितियों के चलते देखने को मिला है।

चीन बना भारत के लिए बड़ा खरीदार
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच चीन ने भारत से 4.88 लाख मीट्रिक टन रेपसीड (सरसों) खरीदा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह मात्रा केवल 60,759 टन थी। इस तेज़ी ने किसानों को सरसों की बुआई बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों या रेपसीड में सोयाबीन की तुलना में अधिक तेल की मात्रा होती है, जिससे यह तेल उत्पादन के लिए अधिक लाभदायक फसल बनती है।

कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े: 2025 में सरसों (रेपसीड-मस्टर्ड) बुआई की स्थिति

वर्ष / अवधिसरसों बुआई का क्षेत्र (लाख हेक्टेयर में)परिवर्तन (%)टिप्पणी
वर्ष 2025 (वर्तमान वर्ष)41.0 लाख हेक्टेयर+13.5%अब तक की बुआई, रिकॉर्ड स्तर पर
वर्ष 2024 (पिछला वर्ष)36.1 लाख हेक्टेयरपिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में
5 वर्ष का औसत (2019–2023)33.5 लाख हेक्टेयरदीर्घकालिक औसत से 22% अधिक
2024–25 में कुल बुआई क्षेत्र90 लाख हेक्टेयरपिछले वर्ष का कुल आँकड़ा
2025–26 के लिए संभावित क्षेत्र~95 लाख हेक्टेयर (अनुमानित)+5% (वार्षिक अनुमान)बढ़ती मांग और अनुकूल मानसून के कारण

 

चीन द्वारा सरसों (रेपसीड) की खरीद: अप्रैल से सितंबर 2025 तक

अवधिचीन द्वारा भारत से खरीदी गई मात्रा (मीट्रिक टन में)वृद्धि (%)टिप्पणी
अप्रैल–सितंबर 20254,88,000 मीट्रिक टन+703%चीन की रिकॉर्ड मांग, बुआई में तेजी
अप्रैल–सितंबर 202460,759 मीट्रिक टनपिछले वित्त वर्ष की समान अवधि

आंकड़े एक नज़र में:
– 2025 में सरसों की बुआई रिकॉर्ड 41 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।
– बुआई क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 13.5 प्रतिशत अधिक और 5 वर्ष के औसत से 22 प्रतिशत ऊपर है।
चीन द्वारा भारत से सरसों की खरीद में 700 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
– अनुकूल मौसम और विदेशी मांग से फसल उत्पादन में सुधार तथा तेल आयात पर निर्भरता में कमी की संभावना है।
– मार्किट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सरसों तेल की कीमतें निकट भविष्य में स्थिर (साइडवेज़) रह सकती हैं।

भारत की तेल आयात निर्भरता में कमी की उम्मीद
वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की जरूरत का करीब दो-तिहाई हिस्सा आयात करता है। देश में मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल, ब्राजील और अर्जेंटीना से सोया ऑयल, और यूक्रेन व रूस से सूरजमुखी तेल का आयात होता है। अगर सरसों का उत्पादन बढ़ता है, तो भारत को न केवल विदेशी तेल पर निर्भरता घटाने में मदद मिलेगी बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत और किसानों को बेहतर घरेलू दाम मिलने का रास्ता भी खुलेगा।

एक्सपर्ट ओपिनियन: ‘सरसों तेल में प्रीमियम बरकरार रहेगा’
Kedia Commodity के Ajay Kedia ने कहा, “अच्छे मॉनसून के चलते सरसों की फसल इस साल उम्मीद से बेहतर हो सकती है। बुवाई बढ़ी है और फसल की रिकवरी भी मजबूत दिख रही है। मई-जून में सरसों का प्रीमियम काफी अच्छा रहा था, और आने वाले महीनों में सरसों तेल प्रीमियम पर ही बिकने की उम्मीद है।” उन्होंने आगे कहा कि कच्ची घानी तेल की मांग लगातार मजबूत है और अभी तक कुल बुआई का 25–30% हिस्सा पूरा हो चुका है।

कीमतों पर असर क्या होगा?
बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, सरसों तेल की कीमतें निकट भविष्य में साइडवेज़ रह सकती हैं। अगले 1–2 महीनों में कीमतों में गिरावट की संभावना कम है। हालांकि, अगर उत्पादन उम्मीद से ज्यादा हुआ तो मार्च–अप्रैल 2026 तक थोक बाजारों में हल्की नरमी देखी जा सकती है।

कुल मिलाकर, सरसों की बुआई में यह उछाल न केवल भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है, बल्कि इससे देश को खाद्य तेल आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूती मिलेगी। बढ़ती चीन की मांग और घरेलू उत्पादन में वृद्धि दोनों मिलकर आने वाले महीनों में सरसों बाजार को नई दिशा दे सकते हैं।

===

हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:
https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें

ताज़ा न्यूज़

विज्ञापन

विशेष न्यूज़

Stay with us!

Subscribe to our newsletter and get notification to stay update.

राज्यों की सूची