चंडीगढ़, 3 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
पंजाब में इस वर्ष का मॉनसून कहर बनकर आया है। लगातार बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी ने राज्य के सभी 23 जिलों में तबाही मचा दी है। अब तक 1200 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने पूरे पंजाब को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
लगभग 3.75 लाख एकड़ कृषि भूमि, विशेषकर धान की फसलें, जलमग्न हो गई हैं। फसल कटाई से ठीक पहले हुए इस नुकसान ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। पशुपालन पर निर्भर ग्रामीणों को भी गहरा झटका लगा है, क्योंकि बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई है।
राज्य प्रशासन और जिला अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। हालांकि बारिश अभी भी जारी है, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका बनी हुई है। मुख्य सचिव केपी सिन्हा ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2025 के तहत कई निर्देश जारी किए हैं। जिला मजिस्ट्रेट्स को आपदा नियंत्रण के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं।
इसके अलावा, सभी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। पब्लिक वर्क्स विभाग, जल संसाधन विभाग और पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया गया है। टेलीकॉम कंपनियों को मोबाइल और लैंडलाइन सेवाएं तुरंत शुरू करने को कहा गया है। स्थानीय निकायों को राहत कार्यों में पूर्ण सहयोग देने के निर्देश दिए गए हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस संकट से निपटने के लिए प्रशासनिक तत्परता के साथ-साथ जनसहयोग भी अत्यंत आवश्यक है। सभी नागरिकों से अपील की गई है कि वे सतर्क रहें, प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और राहत कार्यों में सहयोग करें।
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