मुंबई, 10 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
देश के कई कपास उत्पादक राज्यों में इस बार भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे प्रमुख कपास बेल्ट में पानी भरने से फसल को नुकसान हो रहा है। खेतों में खड़ी कपास की बाली सड़ने लगी है और उत्पादन पर असर साफ दिखने लगा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मौजूदा सीज़न में कपास की पैदावार 10 से 15 प्रतिशत तक घट सकती है।
पंजाब: कपास संकट में
लगातार बारिश से पंजाब में अच्छी फसल की उम्मीदें डूब गई हैं। राज्य में 20,000 एकड़ से अधिक कपास प्रभावित हुई है। मानसा सबसे अधिक प्रभावित जिला रहा है, जहां 13,500 एकड़ से अधिक कपास की फसल नुकसान झेल रही है। वहीं फाजिल्का में 6,400 एकड़ कपास के खेत जलभराव से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
मानसा की मुख्य कृषि अधिकारी हरप्रीत कौर ने बताया कि पिछले हफ़्ते हुई लगातार बारिश ने फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, “हमारी फील्ड टीमें किसानों को नुकसान नियंत्रण के बारे में सलाह दे रही हैं, लेकिन राहत तभी मिलेगी जब आगे बारिश न हो।”
किसानों का कहना है कि बारिश फसल के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। सैदांवाली, खुइयां सरवर, आलमगढ़ और दीवान खेड़ा समेत कई इलाकों में हजारों एकड़ कपास बर्बाद हो गई है। 4 अगस्त को हुई बारिश से रेतीली जमीन में पानी भर गया, जिससे पौधे नष्ट हो गए।
बठिंडा और मुक्तसर में प्रभाव सीमित रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन जिलों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप जरूर देखा गया है, लेकिन फसल पर व्यापक असर की संभावना नहीं है।
उत्पादन पर दबाव, कीमतों पर असर
पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में भी खराब मौसम से पैदावार प्रभावित होने की संभावना है। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से सस्ते दामों पर कपास का आयात बढ़ रहा है। अमेरिका और अफ्रीका से आने वाली कपास भारतीय मंडियों में घरेलू कपास की तुलना में 7 से 10 प्रतिशत सस्ती पड़ रही है।
इस कारण कारोबारियों का रुझान आयात की ओर बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय किसानों को नुकसान हो रहा है। वर्तमान में मंडियों में कपास का भाव समर्थन मूल्य (MSP) के आसपास या उससे नीचे कारोबार कर रहा है।
उद्योग बनाम किसान
जहां टेक्सटाइल उद्योग सस्ती कपास मिलने से राहत महसूस कर रहा है, वहीं किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा और आयात दबाव ने उनकी कमर तोड़ दी है। किसान संगठनों ने सरकार से आयात पर नियंत्रण लगाने और राहत पैकेज की मांग की है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बारिश और बाढ़ का असर लंबा खिंचता है तो घरेलू उत्पादन में भारी कमी आएगी। ऐसे में आने वाले महीनों में कपास की उपलब्धता और कीमतों में बड़ा असंतुलन देखने को मिल सकता है।
कुल मिलाकर, कपास किसान इस समय दोहरी मार झेल रहे हैं—एक ओर प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद हो रही है और दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से आने वाली सस्ती कपास उनकी मुश्किलें और बढ़ा रही है।
===
हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें: