मुंबई, 20 नवम्बर, 2025, (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत का मत्स्य निर्यात क्षेत्र एक बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रहा है। अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी आयात शुल्क के झटके ने, विशेष रूप से झींगा (Shrimp) निर्यात को, अस्थायी रूप से प्रभावित किया था। भारत के समुद्री खाद्य निर्यात का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 40%) पहले अमेरिका को जाता था, और झींगा इसमें प्रमुख था। शुरुआती आशंकाओं के बावजूद, भारतीय निर्यातकों ने तेज़ी से प्रतिक्रिया दी और नई रणनीति अपनाई, जिसके परिणामस्वरूप अब भारत के समुद्री उत्पाद यूरोपीय संघ (EU), रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे नए और आकर्षक बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं।
संकट में अवसर: नए बाजारों की तलाश
अमेरिकी शुल्क के कारण भारतीय झींगा उत्पादकों और निर्यातकों को बड़ा झटका लगा, जिससे घरेलू बाज़ार में कीमतों में गिरावट आई और लाखों लोगों की आजीविका पर संकट मंडरा गया। हालाँकि, इस चुनौती को भारतीय निर्यातकों ने बाज़ार विविधीकरण (Market Diversification) के एक अवसर के रूप में देखा।
चीन, वियतनाम और मलेशिया जैसे एशियाई बाज़ारों में निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वियतनाम को होने वाले निर्यात में 100% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
यूरोपीय संघ (EU) में नई पहुँच
भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात के लिए यूरोपीय संघ एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक बाज़ार बनकर उभरा है। गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुपालन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए, यूरोपीय संघ ने हाल ही में 100 से अधिक नई भारतीय मत्स्य इकाइयों को निर्यात के लिए सूचीबद्ध किया है।
यह कदम भारत की खाद्य सुरक्षा प्रणालियों (Food Safety Systems) पर बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाता है।
यह भारतीय उत्पादों, विशेष रूप से एक्वाकल्चर झींगे (Aquaculture Shrimps) और सेफलोपोड्स (स्क्विड, कटलफिश, ऑक्टोपस) के लिए बाज़ार पहुँच को बढ़ाता है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी बातचीत चल रही है, जिससे भविष्य में इस क्षेत्र को और भी अधिक बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
रूस और ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते कदम
यूरोपीय संघ के अलावा, रूस और ऑस्ट्रेलिया भी भारतीय समुद्री उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण बाज़ार बन रहे हैं।
रूस: रूस ने जल्द ही लगभग 25 भारतीय मछली पालन इकाइयों को मंजूरी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे ये इकाइयाँ रूसी बाज़ार में अपने उत्पाद भेज सकेंगी।
अन्य बाज़ार: ब्रिटेन के साथ हुए भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत भी भारतीय समुद्री उत्पादों के लिए शुल्क-मुक्त पहुँच मिली है। विशेषज्ञ ब्रिटेन को निर्यात तीन गुना बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
भारत सरकार की योजनाएँ, जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में निवेश, आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण और गुणवत्ता पर ज़ोर देकर इस क्षेत्र को मजबूत कर रही हैं। यह योजना उच्च मूल्य-वर्धित उत्पादों (Value-Added Products) जैसे पके और ब्रेडेड झींगे को भी बढ़ावा दे रही है, जिससे निर्यात से अधिक कमाई हो सके।
अमेरिका के शुल्क के बाद भारतीय मत्स्य उद्योग ने दिखाया है कि वह चुनौतियों का सामना करने और वैश्विक बाज़ार में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखने के लिए लचीला (Resilient) है। यह बाज़ार विविधीकरण की रणनीति भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है और लाखों मछुआरों और किसानों की आजीविका को सुरक्षित रखने में मदद करती है।
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