मुंबई, 4 दिसंबर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट ने देश के कृषि समुदाय और कीटनाशक उद्योग दोनों के बीच एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि कृषि में कीटनाशकों के अत्यधिक और लंबे समय तक संपर्क में रहने से किसानों और कृषि श्रमिकों में डिप्रेशन (अवसाद), याददाश्त का कम होना और अन्य न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका-संबंधी) समस्याओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
ICMR के अध्ययन में क्या सामने आया?
ICMR के वैज्ञानिकों ने पश्चिम बंगाल जैसे कृषि-प्रधान क्षेत्रों में एक गहन अध्ययन किया। इस सर्वे में बड़ी संख्या में किसानों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया गया।
जहरीले असर के जैव मार्कर: अध्ययन में किसानों के शरीर में ऐसे जैव मार्कर (Biomarkers) पाए गए, जो स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि शरीर लंबे समय से जहरीले रसायनों के संपर्क में है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: रिपोर्ट के अनुसार, जो किसान नियमित रूप से कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं या उनके संपर्क में रहते हैं, उनमें अवसाद, चिंता (Anxiety) और सोचने-समझने की क्षमता (Cognitive Impairment) में कमी के लक्षण अधिक देखे गए हैं।
याददाश्त और कार्यक्षमता: यह भी पाया गया कि ऐसे किसानों को न केवल याददाश्त की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि रोजमर्रा के साधारण काम करने में भी उन्हें बाधा आ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह निष्कर्ष स्थापित वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुरूप है, जो बताते हैं कि कीटनाशकों का पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) और अल्जाइमर डिमेंशिया (Alzheimer’s dementia) जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों से गहरा संबंध है।
कीटनाशक उद्योग जगत में आक्रोश
ICMR की इस रिपोर्ट ने कीटनाशक उद्योग जगत (Pesticide Industry) में खलबली मचा दी है। इंडस्ट्री ने इस रिपोर्ट पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।
दावों पर सवाल: उद्योग जगत का तर्क है कि अध्ययन के तरीके और निष्कर्ष वैज्ञानिक रूप से त्रुटिपूर्ण हैं और ये किसानों के मानसिक स्वास्थ्य संकट को सिर्फ कीटनाशकों से जोड़कर गलत तस्वीर पेश करते हैं।
अन्य कारकों की अनदेखी: उनका कहना है कि किसानों में अवसाद के पीछे फसल का नुकसान, कर्ज़ का बोझ, खराब आर्थिक स्थिति और सामाजिक-आर्थिक तनाव जैसे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं, जिन्हें रिपोर्ट में पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया है।
नियमों के पालन का दावा: उद्योग निकाय यह भी दावा करते हैं कि वे सरकार द्वारा निर्धारित सभी सुरक्षा मानकों और नियमों का पूरी तरह से पालन करते हैं, और किसानों को सुरक्षित उपयोग के बारे में लगातार जागरूक किया जाता है।
संकट से निपटने के लिए सुझाव
ICMR ने इस गंभीर समस्या के मद्देनजर सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर एक निगरानी कार्यक्रम (National Monitoring Program) शुरू करने की मांग की है। विशेषज्ञों ने भी इस संकट से निपटने के लिए कई कदम सुझाए हैं। किसानों को कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग, सही मात्रा और छिड़काव के दौरान सुरक्षा उपकरण (मास्क, दस्ताने) पहनने के बारे में व्यापक प्रशिक्षण देना ज़रूरी है। रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने के लिए जैविक खेती (Organic Farming) और एकीकृत कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management – IPM) जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हों, और किसानों को अवसाद या चिंता होने पर मदद मांगने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों की बिक्री और उपयोग पर सख्त नियम लागू करना और मौजूदा नियमों को सख्ती से लागू करना आवश्यक है।
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