मुंबई, 11 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): हरियाणा में धान खरीद (Paddy Procurement) में चल रही कथित धांधली को लेकर सरकार अब सख्त कार्रवाई के मूड में दिख रही है। खासकर करनाल जिले में हुए बड़े धान घोटाले की परतें एक-एक करके खुल रही हैं। नवीनतम कार्रवाई में, करनाल के असंध ब्लॉक की दो और राइस मिलों पर जांच का शिकंजा कसा गया है, जहां फिजिकल वेरिफिकेशन (भौतिक सत्यापन) के दौरान लगभग 25,000 क्विंटल धान गायब पाया गया है। इस चौंकाने वाले खुलासे ने न केवल सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है, बल्कि धान खरीद में धांधली के एक बड़े रैकेट की ओर भी इशारा किया है।
CM फ्लाइंग स्क्वायड और HAFED की संयुक्त कार्रवाई
पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब हैफेड (HAFED) और सीएम फ्लाइंग स्क्वायड (CM Flying Squad) की संयुक्त टीम ने असंध ब्लॉक की इन चावल मिलों में औचक निरीक्षण किया। संयुक्त टीम के सत्यापन में पाया गया कि मिलों के पास कागज़ों में दर्ज धान की मात्रा मौके पर मौजूद नहीं थी, जिसके बाद तुरंत प्रभाव से कार्रवाई शुरू की गई। हैफेड के जिला प्रबंधक (DM) कृपाल दास ने इस बड़ी सरकारी खरीद में गड़बड़ी को लेकर असंध पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
धांधली में शामिल कर्मचारियों पर गिरी गाज
प्रारंभिक जांच और सत्यापन के बाद, इस हरियाणा धान घोटाला में कथित संलिप्तता के लिए हैफेड के दो कर्मचारियों, फील्ड इंस्पेक्टर-कम-स्टोर कीपर अशोक कुमार और सीनियर मैनेजर सुरिंदर कुमार, को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले, 5 नवंबर को तत्कालीन डीएम अमित शर्मा को भी इसी तरह की अनियमितताओं के आरोप में प्रबंध निदेशक द्वारा निलंबित किया जा चुका था। यह निलंबन इस बात का प्रमाण है कि धान खरीद में धांधली में खरीद एजेंसियों के अंदरूनी कर्मचारी भी सीधे तौर पर शामिल थे।
‘प्रॉक्सी खरीद’ का संदेह और जांच का दायरा
अधिकारियों को संदेह है कि इस बड़े पैमाने पर हुई धान खरीद में गड़बड़ी का मुख्य तरीका “प्रॉक्सी खरीद” (Proxy Purchase) हो सकता है। ‘प्रॉक्सी खरीद’ का मतलब है कि अनाज मंडियों तक धान की आवक दिखाए बिना ही, फर्जी एंट्री (Fake Entry) के माध्यम से सरकारी रिकॉर्ड में खरीद दर्ज कर दी गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि मिल मालिक और संबंधित अधिकारी मिलकर उस धान को ब्लैक मार्केट में बेच सकें या सरकारी भुगतान को अवैध तरीके से निकाल सकें, जिससे सीधा नुकसान सरकारी खजाने को हुआ और किसानों का धान कहीं और इस्तेमाल होता रहा।
जांच अधिकारी इस रैकेट के हर पहलू को खंगाल रहे हैं। हैफेड के नए डीएम कृपाल दास ने पुष्टि की है कि इन मिल मालिकों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए शिकायत दर्ज की गई है और सच्चाई केवल विस्तृत पुलिस जांच से ही सामने आ सकती है।
दर्ज हुए तीन मुकदमे और एसआईटी जांच का गठन
करनाल जिले में धान खरीद में धांधली से संबंधित अब तक कुल तीन मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इन मामलों में दो मार्केट कमेटी सचिव (करनाल और तरावड़ी से), एक राइस मिलर और पांच खरीद अधिकारी नामजद किए गए हैं। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, लेकिन पुलिस टीमें आरोपियों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही हैं।
इस जटिल और बड़े धान घोटाले की तह तक जाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी जांच) का गठन किया गया है। डीएसपी रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में गठित इस एसआईटी में सीआईए-2 के सदस्य, संबंधित थानों की पुलिस और साइबर विशेषज्ञ शामिल हैं। एसआईटी जांच का मकसद ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर किसानों के रजिस्ट्रेशन से लेकर गेट पास जारी करने और कथित फर्जी आवक के लिए किए गए भुगतान तक, पूरे धान खरीद चक्र की गहराई से जांच करना है।
जांच टीम उन सभी कमीशन एजेंटों, खरीद एजेंसियों और करनाल राइस मिलों की पहचान करेगी जिनकी इस संगठित रैकेट में भूमिका रही है। इस घोटाले का पर्दाफाश होना, सरकारी खरीद में गड़बड़ी को रोकने और किसानों का हक सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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