जयपुर, 18 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
राजस्थान (Rajasthan) के किसानों ने नैनो यूरिया (Nano Urea) की अनिवार्य खरीद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विभिन्न किसान संगठनों का कहना है कि नैनो यूरिया से अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा, उल्टा उत्पादन घट रहा है और किसानों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ रहा है।
किसानों के मुताबिक पारंपरिक यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया की प्रभावशीलता कम दिखाई दे रही है। कई किसानों ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद उन्हें अनिवार्य रूप से यह बोतलें खरीदनी पड़ रही हैं, जबकि वास्तविक खेतों में इसका असर उम्मीद से काफी कम है। परिणामस्वरूप, फसल की पैदावार प्रभावित हो रही है।
किसानों ने यह भी शिकायत की है कि खरीदी गई नैनो यूरिया की बोतलें खेतों में इस्तेमाल न होने के बाद गोदामों और दुकानों में पड़ी रह गई हैं। बाजार में इनकी मांग न होने के कारण किसान इन्हें वापस भी नहीं कर पा रहे।
सरकार ने जुलाई 2025 में दिशा-निर्देश जारी कर नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही थी। अधिकारियों का दावा है कि यह उत्पाद कम लागत में मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और प्रदूषण कम करने में सहायक है। परंतु किसानों का तर्क है कि बिना पर्याप्त फील्ड ट्रायल और जागरूकता कार्यक्रमों के इसे थोपना अनुचित है।
कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि नैनो यूरिया को पूरी तरह से खारिज करना उचित नहीं है, क्योंकि इसमें भविष्य की संभावनाएँ हैं। लेकिन व्यापक स्तर पर इसके प्रयोग से पहले इसे विभिन्न फसलों, मौसम और मिट्टी की स्थितियों के हिसाब से जांचना और किसानों को प्रशिक्षण देना आवश्यक है। किसानों की चिंता जायज़ है। अगर उत्पादकता घट रही है, तो सरकार को तुरंत मूल्यांकन कर नीतिगत बदलाव करना चाहिए।
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