FAO रिपोर्ट: चीनी और दूध के दाम घटे, वैश्विक खाद्य महंगाई में थोड़ी राहत

Agriculture Business News

मुंबई, 3 अक्टूबर (कृषि भूमि डेस्क): संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने शुक्रवार को बताया कि सितंबर 2025 में वैश्विक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट देखी गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से चीनी और डेयरी उत्पादों की कीमतों में आई कमी के कारण दर्ज की गई, जो कि मांस की ऊँची कीमतों को भी संतुलित कर गई।

FAO का खाद्य मूल्य सूचकांक — जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार की जाने वाली प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर नज़र रखता है — सितंबर में औसतन 128.8 अंक पर रहा, जो अगस्त के संशोधित 129.7 अंक से कम है।

हालाँकि, यह सूचकांक अभी भी पिछले वर्ष की तुलना में 3.4% अधिक है, लेकिन यह मार्च 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद के उच्चतम स्तर से करीब 20% नीचे है।

चीनी और डेयरी कीमतों में गिरावट
FAO के अनुसार, चीनी मूल्य सूचकांक में 4.1% की गिरावट आई है, जो इसे मार्च 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर ले गई। इसके कारण हैं, ब्राज़ील में अपेक्षा से अधिक उत्पादन और भारत के अलावा थाईलैंड में बेहतर फसल की संभावनाएं

इसी तरह, डेयरी सूचकांक में 2.6% की गिरावट देखी गई — विशेष रूप से मक्खन की कीमतों में तेज़ गिरावट और ओशिनिया क्षेत्र में उत्पादन बढ़ने की संभावना के कारण।

अनाज और चावल की कीमतें भी घटीं
FAO ने कहा कि अनाज के सूचकांक में भी 0.6% की गिरावट दर्ज हुई है। गेहूँ की कीमतों में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण है अधिक उत्पादन और कम अंतरराष्ट्रीय माँग।

  • मक्का (Corn) की कीमतों में गिरावट का एक कारण अर्जेंटीना द्वारा निर्यात करों का अस्थायी निलंबन भी रहा।
  • चावल के दाम भी नीचे आए हैं क्योंकि फिलीपींस और अफ्रीका के आयातकों ने ऑर्डर घटा दिए हैं।

मांस की कीमतें रिकॉर्ड पर
दूसरी ओर, FAO का मांस मूल्य सूचकांक 0.7% बढ़ा, जिसमें बीफ़ और भेड़ के मांस की कीमतें शामिल हैं।

  • अमेरिका में बीफ़ की कीमतें घरेलू आपूर्ति में कमी और मज़बूत माँग के कारण नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई हैं।

वनस्पति तेल और अन्य उत्पाद

  • वनस्पति तेल के मूल्य सूचकांक में 0.7% की गिरावट दर्ज की गई।
    • पाम और सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट रही
    • सूरजमुखी और रेपसीड तेल में हल्की वृद्धि ने आंशिक संतुलन बनाया।

2025 में अनाज उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर
FAO ने एक अलग रिपोर्ट में 2025 के वैश्विक अनाज उत्पादन का पूर्वानुमान 2.961 बिलियन टन से बढ़ाकर 2.971 बिलियन मीट्रिक टन कर दिया है — जो 2024 से 3.8% अधिक और 2013 के बाद की सबसे बड़ी वृद्धि है।

यह वृद्धि गेहूँ, मक्का और चावल के बेहतर उत्पादन के कारण मानी जा रही है।

हालांकि मांस की कीमतों में तेज़ी देखी गई, लेकिन चीनी, डेयरी, अनाज और तेल जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट ने वैश्विक खाद्य कीमतों को नियंत्रण में रखा है। आने वाले महीनों में, यदि उत्पादन अनुकूल रहा और माँग स्थिर रही, तो उपभोक्ताओं को खाद्य महंगाई से थोड़ी राहत मिल सकती है

भारत में वैश्विक खाद्य कीमतों में गिरावट का मिलाजुला असर देखा जा रहा है। एक ओर, चीनी और डेयरी उत्पादों की कीमतों में स्थिरता या मामूली गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है, खासकर त्योहारों के मौसम में। वहीं दूसरी ओर, धान और कपास जैसी फसलों में किसानों को बाज़ार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे मिलने की वजह से सरकार से त्वरित खरीद की माँग बढ़ गई है। अनाज की भरपूर पैदावार और दूध उत्पादन में संभावित वृद्धि से आपूर्ति संतुलित रहने की उम्मीद है, लेकिन मटन और पोल्ट्री उत्पादों में कीमतें कुछ राज्यों में बढ़ रही हैं। कुल मिलाकर, वैश्विक रुझान भारत में उपभोक्ताओं के लिए राहतभरे हैं, जबकि किसानों के लिए चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

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