समस्तीपुर, 05 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में आयोजित दीक्षारंभ समारोह में कुलाधिपति डॉ. पी.एल. गौतम ने नवांगतुक छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें यह समझना चाहिए कि वे साधारण नहीं बल्कि विशिष्ट हैं, तभी देश के एक अग्रणी केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास की सराहना करते हुए कहा कि कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय के नेतृत्व में संस्थान ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं जो देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए मार्गदर्शन वाली हैं।
डॉ. गौतम ने बताया कि दीक्षारंभ की अवधारणा डॉ. पांडेय की ही संकल्पना है, जिसे अब पूरे देश के विश्वविद्यालय अपना रहे हैं। प्राकृतिक खेती में स्नातक कोर्स शुरू करने वाला यह देश का पहला विश्वविद्यालय रहा है, और इसी संस्थान की अध्यक्षता में पूरे भारत के लिए इसका सिलेबस तैयार किया गया। डिजिटल एग्रीकल्चर, ड्रोन प्रशिक्षण और मेंटेनेंस में भी यह विश्वविद्यालय पूर्वी भारत को दिशा दे रहा है।
कृषि मंत्रालय ने किसानों के दरवाजे तक कृषि वैज्ञानिकों को भेजने की राष्ट्रीय पहल में पूर्वी भारत की कमान कुलपति डॉ. पांडेय को सौंपी और इसका केंद्रीय कमांड रूम भी इसी विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया। कुलाधिपति ने छात्रों से कहा कि जब वे एक विशिष्ट विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं, तो साधारण पढ़ाई और साधारण सोच से काम नहीं चलेगा—उन्हें विशिष्ट बनना ही होगा।
समारोह में कुलपति डॉ. पांडेय ने छात्रों को कुलाधिपति का परिचय कराया और कहा कि विश्वविद्यालय पूरी तरह छात्रों का है, और प्रशासन लगातार उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में समर्पित है। उन्होंने कहा कि परिवार की तरह विश्वविद्यालय में भी कभी-कभी समस्याएँ आ सकती हैं, लेकिन उन्हें धैर्य और सहयोग की भावना से हल करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव डॉ. पी.के. प्रणव ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रितंभरा सिंह ने प्रस्तुत किया।
पुस्तक प्रदर्शनी में छात्रों और वैज्ञानिकों का अभूतपूर्व उत्साह
दीक्षारंभ के साथ-साथ विश्वविद्यालय में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी में छात्रों और शोधार्थियों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी। हजारों लोगों ने प्रदर्शनी में हिस्सा लिया और कृषि एवं संबंधित विषयों की देश–विदेश के प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदीं।
रूरल मैनेजमेंट में एमबीए छात्र अनमोल कुमार ने कहा कि पहली बार इस स्तर की पुस्तक प्रदर्शनी विश्वविद्यालय में आयोजित की गई है और इससे छात्रों को बड़ी राहत मिली है। पहले बेहतर किताबों की खोज में उन्हें मुजफ्फरपुर, पटना और विदेशी प्रकाशकों के लिए दिल्ली तक जाना पड़ता था।
विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन डॉ. राकेश मणि शर्मा ने बताया कि कुलपति के निर्देश पर आयोजित की गई इस प्रदर्शनी की सफलता को देखते हुए इसे हर वर्ष आयोजित करने की योजना है। अगले वर्ष साहित्य, इतिहास और समाज विज्ञान से जुड़े प्रकाशकों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि छात्रों को व्यापक विषयों की पुस्तकों का लाभ मिल सके। प्रदर्शनी का समापन शाम छह बजे किया गया।
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