लखनऊ, 15 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
उत्तर प्रदेश (UP) सरकार ने डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए सर्वेयरों की तैनाती की समय-सीमा 25 सितंबर 2025 तय की है। यह कदम राज्य में कृषि डेटा के डिजिटलीकरण और फसल उत्पादन की सटीकता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। इस पहल से किसानों को बेहतर फसल योजना, बीमा कवरेज और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
सर्वेक्षण प्रक्रिया में सर्वेयरों द्वारा राज्य के विभिन्न हिस्सों में फसल क्षेत्र, प्राकृतिक आपदाओं, पानी की स्थिति, और उपज की गुणवत्ता जैसे डेटा का संकलन किया जाएगा। इस डेटा को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर दर्ज किया जाएगा, जिससे भविष्य में योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
डिजिटल सर्वेक्षण की अहमियत:
- डेटा का डिजिटलीकरण: फसल से संबंधित जानकारी के डिजिटलीकरण से किसानों को त्वरित और पारदर्शी सेवाएं मिलेंगी।
- सटीक आंकड़े: सर्वे के माध्यम से प्राप्त सटीक आंकड़े नीतियों को सही दिशा देंगे और किसानों को योजनाओं का अधिकतम लाभ मिलेगा।
- आपदा और बीमा: प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी तत्काल सरकार तक पहुंचेगी, जिससे किसानों को समय पर मुआवजा और बीमा सहायता मिल सकेगी।
- स्मार्ट फार्मिंग: इस पहल से स्मार्ट फार्मिंग और कृषि तकनीकों का भी विकास होगा।
राज्य के कृषि सचिव ने कहा, “इस डिजिटल सर्वेक्षण का उद्देश्य न केवल राज्य की कृषि स्थिति को बेहतर समझना है, बल्कि यह किसानों के लिए सरकारी योजनाओं और सहायता को आसान और अधिक प्रभावी बनाएगा।”
डिजिटल सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार ई-गवर्नेंस, स्मार्टफोन एप्लिकेशन्स, और GIS आधारित तकनीकों का उपयोग कर रही है। इसके द्वारा सर्वेयरों के लिए फील्ड डेटा एकत्र करना और उसे संबंधित विभागों तक पहुँचाना आसान हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम कृषि क्षेत्र में डिजिटलीकरण और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डिजिटल फसल सर्वेक्षण से न केवल डेटा संग्रह में पारदर्शिता आएगी, बल्कि किसानों को कृषि योजनाओं का अधिक लाभ मिलेगा।
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