मुंबई, 04 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): चार दिन की लगातार तेजी के बाद सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली। निवेशकों के बीच आपूर्ति और उत्पादन को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है। ओपेक प्लस (OPEC+) द्वारा अगले साल की शुरुआत में उत्पादन वृद्धि रोकने के फैसले और अमेरिकी प्रतिबंधों के असर ने बाजार की दिशा पर दबाव डाला है।
सोमवार को ब्रेंट क्रूड वायदा (Brent Crude Futures) 9 सेंट या 0.1% गिरकर $64.80 प्रति बैरल पर आ गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 10 सेंट या 0.2% की गिरावट के साथ $60.95 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। पिछले कारोबारी सत्र में WTI लगभग $61 प्रति बैरल के करीब था, वहीं ब्रेंट $65 से थोड़ा नीचे बंद हुआ था।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और उसके सहयोगियों ने सप्ताहांत में घोषणा की कि वे 2026 की पहली तिमाही में उत्पादन कोटा बढ़ाने से बचेंगे। इस फैसले को बाजार ने सतर्कता से लिया, क्योंकि वैश्विक स्तर पर पहले से ही तेल की अधिकता की आशंका बनी हुई थी।
OPEC+ के इस कदम का उद्देश्य वैश्विक कीमतों को स्थिर बनाए रखना है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इससे बाजार में आपूर्ति संतुलन को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। कुछ ट्रेडर्स इसे कीमतों पर दबाव डालने वाला कारक मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे दीर्घकालिक स्थिरता का संकेत कह रहे हैं।
अमेरिकी प्रतिबंधों और आपूर्ति चिंताओं का असर
अबू धाबी में आयोजित एक ऊर्जा सम्मेलन में कई प्रमुख तेल कंपनियों के अधिकारियों ने इस बात पर चिंता जताई कि अमेरिका द्वारा रूस के दो प्रमुख तेल उत्पादकों पर लगाए गए प्रतिबंधों से माल ढुलाई में देरी और व्यापार सुस्ती आ सकती है। एनी स्पा (Eni SpA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्लाउडियो डेस्काल्ज़ी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि “तेल की अधिक आपूर्ति अगर होती भी है, तो वह अल्पकालिक होगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रतिबंधों के चलते शिपमेंट में देरी से अस्थायी रूप से बाजार में तनाव रह सकता है।
ऊर्जा बाजार की स्थिति और आगे की दिशा
विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक तेल बाजार फिलहाल “संतुलन के दोराहे पर” है। एक ओर, ओपेक+ का उत्पादन सीमित रखने का निर्णय कीमतों को सहारा दे सकता है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी उत्पादन और रूस पर लगे प्रतिबंधों से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।
बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले हफ्तों में ब्रेंट क्रूड $64 से $68 प्रति बैरल और WTI $60 से $63 प्रति बैरल के दायरे में रह सकता है। वैश्विक आर्थिक संकेतकों, चीन की औद्योगिक मांग, और डॉलर इंडेक्स की चाल पर भी कच्चे तेल की दिशा निर्भर करेगी।
कुलमिलाकर, चार दिनों की बढ़त के बाद कच्चे तेल के बाजार में मुनाफावसूली और आपूर्ति संबंधी अनिश्चितता ने रुकावट डाल दी है। हालांकि ओपेक+ के स्थिर उत्पादन और अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव से निकट भविष्य में बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भू-राजनीतिक तनाव नहीं बढ़ता, तो कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा दायरे में स्थिर रह सकती हैं।
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