Cotton Farming: इन पांच टिप्स से आसान बनायें कपास की खेती

देश भर में कपास की बुवाई का समय शुरू हो गया है,  20 अप्रैल से कई किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है। कपास की पैदावार बढ़ाने और इससे अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का पालन करना बेहद जरूरी है। भारत में कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन कई बार किसानों को मौसम की मार और कीटों के प्रकोप से खेती में नुकसान झेलना पड़ता है।

गुलाबी सुंडी के प्रकोप से फसल को हर साल नुकसान होता है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को इस कीट से बचाव के उपाय बताए हैं। किसानों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि वे अपनी फसल को सुरक्षित रख सकें।

आइए जानते हैं क्या हैं वो 5 महत्वपूर्ण टिप्स:

समय पर करें कपास की बुवाई:
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि 20 अप्रैल से 20 मई के बीच कपास की बुवाई सबसे फायदेमंद होती है। उपयुक्त दूरी और बीज की मात्रा का ध्यान रखें। अगर सिंचाई का पानी नहीं हो तो मूंग, मोठ जैसी कम पानी में उगने वाली फसलों की खेती की जा सकती है।

मिट्‌टी के चयन में सावधानी:
कपास की फसल के लिए काली, मध्यम से गहरी (90 सेमी) और जल निकास वाली मिट्‌टी का चयन करें। उथली, हल्की खारी और दोमट मिट्‌टी का चयन न करें।

कपास की बुवाई का सही तरीका:
अच्छे बीजों का चयन करें। एक बीघा में बीटी कॉटन का एक पैकेट (475 ग्राम) बीज ही उपयोग में लें। बुवाई मशीन की सेटिंग 108 सेमी (3फीट) पर करें। प्रथम सिंचाई के बाद पौधों की दूरी 2 फीट रखें।

उर्वरक का इस्तेमाल:
कपास के बीजों की बुवाई के समय सिफारिश उर्वरक बैसल में अवश्य देना चाहिए, क्योंकि बैसल में दिए जाने उर्वरक खड़ी फसल में देने से अधिक कारगर परिणाम नहीं देते हैं। खाद उर्वरक का प्रयोग मिट्‌टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। यदि मिट्‌टी में कार्बनिक तत्वों की कमी है तो उसकी पूर्ति के लिए अनुशंसित खाद व उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए जिसकी जानकारी आप अपने जिले के कृषि विभाग से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा खेत की तैयारी के समय आखिरी जुताई में कुछ मात्रा गोबर की सड़ी खाद मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इससे फसल को लाभ होगा।

गुलाबी सुंडी की रोकथाम:
गुलाबी सुंडी के प्रकोप से बचने के लिए गुलाबी सुंडी से मुक्त बीज का चयन करें। खेत में बनछटियों के ढेर का निस्तारण करें। पिछले साल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से 80 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ था। इस साल, उम्मीद है कि सही तरह की सलाह और उपायों से इसे कम किया जा सकेगा।

किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह:
सोशल मीडिया पर Bt4 तक किस्म के कपास बीज होने का दावा किया जा रहा है, जिसमें गुलाबी सुंडी का प्रकोप नहीं होता। कृषि विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया है। उनके मुताबिक, अभी तक Bt2 किस्म का बीज ही उपलब्ध है, जिसमें गुलाबी सुंडी की प्रतिरोधी नहीं है। अब तक इस बीज के संबंध में कोई भी रिसर्च नहीं की गयी है।

कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस तरह के भ्रामक दावों या विज्ञापनों पर ध्यान न दें और अपने क्षेत्र के लिए कृषि विभाग द्वारा अनुशंसित कपास की किस्म का ही बीज चुनें।

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