मुंबई, 16 अक्टूबर (कृषि भूमि डेस्क): मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोमवार को तांबे की कीमतों में 2.4% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह 738 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब पहुंच गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और लंबी अवधि के निवेशकों के लिए खरीद का सुनहरा अवसर बन सकती है।
वैश्विक कारकों का असर
विश्लेषकों के मुताबिक, तांबे की कीमतों में यह गिरावट वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका, चीन में मांग में कमजोरी, और डॉलर के मजबूत होने के चलते आई है। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा तांबा उपभोक्ता है, वहां की औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती आने से तांबे की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर दबाव पड़ा है।
हालांकि, लॉन्ग टर्म में मांग मजबूत रहने की संभावना है, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), ग्रीन एनर्जी, और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तांबे की खपत को देखते हुए।
निवेशकों के लिए खरीदारी का स्तर?
MCX पर तांबा 2.4% टूटकर करीब 738 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जो हाल के सप्ताहों की तुलना में एक मजबूत सपोर्ट ज़ोन माना जा रहा है। कई टेक्निकल एनालिस्ट्स मानते हैं कि यदि तांबा 730–735 के स्तर को बरकरार रखता है, तो इसमें अल्पकालिक रिबाउंड संभव है।
एंजेल वन और मोतीलाल ओसवाल जैसे ब्रोकरेज हाउसेज़ ने इसे “बाय ऑन डिप्स” की रणनीति के तहत शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स और मेटल पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए उपयुक्त स्तर बताया है।
लंबी अवधि का दृष्टिकोण
फाइनेंसियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि तांबे में दीर्घकालिक निवेश की दृष्टि से संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। ऊर्जा संक्रमण, इलेक्ट्रॉनिक निर्माण, और वैश्विक आधारभूत ढांचे में निवेश तांबे की डिमांड को आगे बढ़ाएंगे।
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि वर्तमान गिरावट के दौर में चरणबद्ध तरीके से निवेश करना समझदारी होगी, जिससे औसत खरीद मूल्य कम किया जा सके।
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