नई दिल्ली, 14 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
जुलाई महीने में जीरे (Cumin) की कीमतों में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट के पीछे वैश्विक बाजार की कमजोर मांग, निर्यात में कमी, और रुपये के अवमूल्यन जैसे कई कारण सामने आए हैं। हालांकि इस बार उत्पादन कम रहा है, लेकिन पिछले साल के स्टॉक का असर अभी भी बाजार पर दिखाई दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट
भारतीय जीरे के सबसे बड़े खरीदार—मध्य पूर्व, चीन और यूरोप—ने जुलाई में खरीदारी में कमी की। विशेष रूप से चीन ने आयात में कटौती की है, जो संभावित टैरिफ और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के चलते सतर्कता बरत रहा है। निर्यात के आंकड़े भी उम्मीद से कम रहे, जिससे घरेलू बाजार पर दबाव बना।
किसानों की बेचने में रुचि कम
इस बार उत्पादन कम होने के बावजूद, पिछले साल का स्टॉक बाजार में उपलब्ध है। किसान वर्तमान कीमतों से संतुष्ट नहीं हैं और बेहतर दरों की उम्मीद में माल रोक कर बैठे हैं, जिससे आपूर्ति सीमित हो गई है।
रुपये का अवमूल्यन और टैरिफ का डर
भारतीय रुपये के कमजोर होने से व्यापार मार्जिन प्रभावित हुआ है और निर्यात प्रतिस्पर्धा में कमी आई है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर टैरिफ को लेकर बनी आशंका ने चीन जैसे बड़े खरीदारों को सतर्क कर दिया है, जिससे उनकी खरीदारी सुस्त रही।
अगस्त में मामूली सुधार की उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि अगस्त में जीरे की कीमतों में थोड़ा सुधार देखने को मिल सकता है। चीन से खरीदारी धीरे-धीरे शुरू होने की संभावना है और निर्यात मांग में भी सुधार की उम्मीद है। हालांकि, बाजार की दिशा वैश्विक घटनाक्रम और मुद्रा विनिमय दरों पर निर्भर करेगी।
===
भारत में 80% किसान अनुकूल जलवायु स्थिति न मिलने से प्रभावित : रिपोर्ट
हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:
https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45