कॉफी के दाम इंटरनेशनल मार्केट में गिरे, भारत में उत्पादन और निर्यात तेजी से बढ़े: जानें पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली, 20 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): अंतरराष्ट्रीय कॉफी बाजार में पिछले एक सप्ताह से दबाव लगातार बढ़ रहा है। दो दिनों की मजबूती के बाद कॉफी की कीमतें फिर से फिसल गईं और अब यह एक सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार कॉफी का भाव 402 डॉलर प्रति पाउंड (lbs) से नीचे आ गया है, जो स्पष्ट रूप से यह संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती आपूर्ति के अनुमान ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार ब्राजील में इस वर्ष लगभग 71 मिलियन बैग उत्पादन की संभावना जताई जा रही है, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 13% अधिक है। इसके अलावा 2026-27 में वैश्विक सप्लाई में 7 से 10 मिलियन बैग की अतिरिक्त उपलब्धता का अनुमान है, जिससे कीमतों में और नरमी देखने को मिल सकती है।

वियतनाम, जो दुनिया का सबसे बड़ा रोबस्टा कॉफी उत्पादक देश है, वहां भी 2025-26 के लिए उत्पादन में करीब 6% वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इससे रोबस्टा और अरेबिका दोनों श्रेणियों की कीमतों पर दबाव पड़ा है। यही नहीं, पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कॉफी की कीमतों में लगभग 42% की वृद्धि दर्ज की गई थी, लेकिन वर्तमान में बढ़ती सप्लाई और अनुकूल मौसम ने इस तेजी को काफी हद तक सीमित कर दिया है। हालांकि जनवरी 2025 से अब तक कीमतें अभी भी 26% ऊपर हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि कॉफी बाजार अभी भी दीर्घकालिक मजबूती के संकेत दे रहा है, हालांकि अल्पावधि में गिरावट बनी हुई है।

भारत में परिदृश्य बिल्कुल अलग और अपेक्षाकृत सकारात्मक दिख रहा है। कॉफी बोर्ड का कहना है कि भारत में वर्तमान लगभग 3.5 लाख टन का उत्पादन अगले 25 वर्षों में बढ़कर 7 लाख टन तक हो सकता है। बोर्ड ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों में करीब 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को कॉफी खेती के दायरे में शामिल करने की योजना पर काम कर रहा है। साथ ही, जैन इरिगेशन के साथ मिलकर रोबस्टा कॉफी की उच्च गुणवत्ता वाली कलम तैयार करने के लिए टिश्यू कल्चर परियोजना शुरू की गई है, जिसका लाभ किसानों को 2026-27 से मिलने लगेगा। भारत में अभी लगभग 4.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी की खेती होती है।

निर्यात के आंकड़े भी भारत के कॉफी उद्योग की मजबूती को दर्शाते हैं। 2019-20 में भारत ने 739 मिलियन डॉलर की कॉफी एक्सपोर्ट की थी, जो बढ़कर 2024-25 में 1.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी है। यह लगभग दो गुना वृद्धि भारत की निर्यात क्षमता, वैश्विक मांग और उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय कॉफी की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत उत्पादन, प्रोसेसिंग और निर्यात के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करता है, तो आने वाले वर्षों में वैश्विक कॉफी बाजार में उसकी हिस्सेदारी और बढ़ सकती है।

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