पटना: भारतीय कृषि पत्रकार संघ (Bihar Department) ने भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री को पत्र लिखकर कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) और ब्लॉक/जिला स्तरीय कृषि कार्यालयों में किसानों एवं किसान पत्रकारों के लिए पहुँच सुगम और संवाद की स्पष्ट अनुमति प्रदान करने की माँग की है। इस पत्र में तकनीकी जानकारी तक पहुँच में आने वाली बाधाओं को चिन्हित करते हुए, ठोस, व्यावहारिक और स्थायी नीति निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
पत्र में कहा गया है कि भारतीय कृषि पत्रकार संघ वर्षों से “Farmer the Journalist (FTJ)” मॉडल पर कार्य कर रहा है, जिसका उद्देश्य किसानों की जमीनी समस्याओं को उजागर कर नीति-निर्माण से जोड़ना है। संघ ने चिंता जताई है कि कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके और अनुसंधान संस्थानों में किसानों और पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से प्रवेश और संवाद की अनुमति नहीं है। इस मामले में ख़ासतौर पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा का ज़िक्र किया गया है, जहाँ किसानों के लिए प्रवेश पूर्व अनुमति पर ही संभव है, जबकि विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य “किसानों को समर्पित” है। संघ का कहना है कि ऐसी स्थिति में प्रसार प्रणाली निष्प्रभावी हो रही है और कृषि अनुसंधानों का लाभ सीमित वर्ग तक सिमट रहा है।
प्रसार तंत्र और समिति गठन में शिथिलता
बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य में, जहाँ प्रशिक्षण, अनुसंधान और सलाह सेवाओं की बेहतर संरचना उपलब्ध है, वहाँ किसान सलाहकार समिति का वर्षों से गठन नहीं हो पाया है। इससे नीतियों की व्यवहारिकता और किसानों की भागीदारी प्रभावित हो रही है।
संघ के तीन प्रमुख सुझाव
- नीति निर्माण: एक सुस्पष्ट राष्ट्रीय नीति बने जो किसानों और कृषि पत्रकारों को अनुसंधान संस्थानों व केवीके में सुगम संवाद और जानकारी के अधिकार के साथ पहुँच की अनुमति दे।
- किसान संवाद अधिकारी: प्रत्येक विश्वविद्यालय और केवीके में एक नामित अधिकारी नियुक्त किया जाए जो किसानों, पत्रकारों और वैज्ञानिकों के बीच नियमित समन्वय और संवाद सुनिश्चित करे।
- किसान-पत्रकार दिवस: विश्वविद्यालय और राज्य/जिला स्तर पर किसान-पत्रकार दिवस और मीडिया संवाद जैसे कार्यक्रम नियमित आयोजित हों, जिससे पारदर्शिता, वैज्ञानिक जागरूकता, और नीति फीडबैक लूप को बल मिले।
विकसित भारत @2047 की ओर एक ठोस पहल
संघ ने इस पहल को “विकसित भारत @2047” के दृष्टिकोण में किसानों की केंद्रीय भूमिका को मज़बूत करने की दिशा में ऐतिहासिक अवसर बताया है। तकनीकी संवाद और नवाचारों की पहुँच सुनिश्चित करके, किसान न केवल उत्पादन बढ़ा सकते हैं, बल्कि जलवायु चुनौतियों, लागत प्रबंधन और बाजार जोखिमों से भी अधिक प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं।
भारतीय कृषि पत्रकार संघ ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित, व्यावहारिक और सकारात्मक हस्तक्षेप की माँग की है। यदि ये सुझाव नीति में शामिल किए जाते हैं, तो यह पहल बिहार के साथ-साथ पूरे देश में कृषि संवाद, ज्ञान-वितरण और किसान सशक्तिकरण को नई दिशा प्रदान कर सकती है।
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