नई दिल्ली, 14 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
पंजाब (Punjab) में धान (Paddy) की खेती को अधिक टिकाऊ और लाभकारी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) और अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (IRRI) की साझेदारी से विकसित की गई नई धान किस्म PR‑132 किसानों को कम उर्वरक उपयोग के साथ अधिक उपज देने का विकल्प दे रही है।
PR‑132 की सबसे खास बात यह है कि यह पारंपरिक किस्मों की तुलना में 25% कम यूरिया पर भी बेहतर उत्पादन देने में सक्षम है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस किस्म को प्रति एकड़ केवल 1.5 बैग यूरिया की आवश्यकता होती है, फिर भी यह चमकदार गुणवत्ता और अच्छी उपज प्रदान करती है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी चेताया है कि यदि इस किस्म में अत्यधिक उर्वरक का प्रयोग किया गया तो फसल गिरने (lodging) की आशंका बढ़ सकती है, जिससे उपज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
वर्तमान में PR‑132 का व्यापक परीक्षण किया जा रहा है। यदि यह फील्ड ट्रायल्स में सफल रहती है, तो इसे PAU की लोकप्रिय धान किस्मों की श्रृंखला में शामिल किया जाएगा, जिससे राज्य के लाखों किसानों को लाभ मिल सकता है।
PAU के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म न केवल उत्पादन लागत को घटा सकती है बल्कि पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को भी कम करेगी, जिससे हरित कृषि की दिशा में अहम प्रगति होगी।
किसानों और कृषि विशेषज्ञों को इस किस्म के परिणामों का इंतजार है, जो राज्य की धान उत्पादन नीति में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है।
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