मुंबई, 26 नवम्बर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): यह कहानी है संघर्ष से सफलता की ओर बढ़े झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गाँव के किसान गुप्तेश्वर महतो की। गुप्तेश्वर महतो कभी महाराष्ट्र में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मज़दूरी करते थे, जहाँ उनकी मासिक आय मात्र 10 से 15 हज़ार रुपये थी। लेकिन अब, स्मार्ट फार्मिंग तकनीकों को अपनाकर, वह अपने गृह जिले में खीरे की खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं और अन्य किसानों के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन गए हैं।

गुप्तेश्वर महतो अब अपने इलाके में एक प्रोग्रेसिव किसान के तौर पर जाने जाते हैं। गुप्तेश्वर महतो ने पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाया। उन्होंने जिला कृषि अधिकारियों से संपर्क किया और ड्रिप इरिगेशन जैसे मॉडर्न खेती के तरीकों की जानकारी ली। उनकी सफलता का श्रेय मुख्य रूप से दो तकनीकों को जाता है:

1. मंडप विधि (Scaffolding Method)

गुप्तेश्वर महतो खीरे की खेती में मंडप विधि का इस्तेमाल करते हैं। इस विधि में खीरे के पौधों को ज़मीन पर फैलाने के बजाय, रस्सियों या बांस के सहारे ऊपर चढ़ाया जाता है। इससे खीरे में बीमारी का खतरा कम होता है, फल मिट्टी के संपर्क में नहीं आते जिससे उनकी गुणवत्ता बेहतर होती है, और उन्हें तोड़ना भी आसान हो जाता है।

2. मल्चिंग तकनीक (Mulching Technique)

उन्होंने खीरे की खेती के लिए मल्चिंग तकनीक भी अपनाई है, जो आधुनिक खेती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मल्चिंग से खेत की ऊपरी मिट्टी को ढक दिया जाता है, जिससे यह पानी की बचत करती है, खरपतवार (weeds) कम उगते हैं, और मिट्टी में नमी व तापमान बनाए रखने में मदद मिलती है।

इन आधुनिक तरीकों से गुप्तेश्वर महतो कम पूंजी और कम समय में ज़्यादा इनकम कमाकर आत्मनिर्भर बने हैं।

कमाई का गणित और सफलता

गुप्तेश्वर महतो ने अपनी खेती की शुरुआत छोटे पैमाने पर की थी। अधिकारियों से मार्गदर्शन और पहली फसल में अच्छी पैदावार मिलने के बाद, वह पूरी तरह से खेती की ओर मुड़ गए।

  • खेती का पैमाना: वह वर्तमान में लगभग 1.5 एकड़ जमीन पर खीरे की खेती कर रहे हैं।

  • लागत और मुनाफा: 1.5 एकड़ जमीन में खीरे की खेती करने में करीब 50,000 रुपये का खर्च आता है। थोक बाज़ार में खीरे का औसत मूल्य अगर 30 रुपये प्रति किलोग्राम भी हो, तो किसान एक सीजन में आसानी से 2 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ (Net Profit) कमा सकता है।

  • फसल चक्र: खीरे की फसल बुवाई के 30 से 45 दिनों में ही बाज़ार में बिक्री के लिए तैयार हो जाती है।

गुप्तेश्वर महतो की सफलता की कहानी झारखंड के अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे मजदूरी छोड़कर सही स्मार्ट खेती तकनीक अपनाकर घर बैठे अच्छी कमाई की जा सकती है।

ज़मीन जीतने का अनोखा तरीका

गुप्तेश्वर महतो को खेती के लिए ज़मीन मिलने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। उन्होंने यह ज़मीन एक अनोखी पारंपरिक सालाना प्रतियोगिता में जीती थी। साल 2020 में मकर संक्रांति पर कसमार ब्लॉक के मंजुरा गांव में ‘भीघा बिंदाना’ (तीरंदाजी प्रतियोगिता) नाम से एक पारंपरिक सालाना प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता के विजेता को एक साल के लिए ज़मीन के एक टुकड़े पर खेती करने का हक दिया जाता है। गुप्तेश्वर महतो ने यह प्रतियोगिता जीती और 0.25 एकड़ उपजाऊ ज़मीन पर सब्जियाँ उगाना शुरू किया, जो उनकी सफलता की पहली सीढ़ी बनी।

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