नई दिल्ली, 20 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): सस्ते अंतरराष्ट्रीय भाव, चीन की बढ़ती खरीद और कनाडा पर उच्च टैरिफ की वजह से भारत के सरसों मील उद्योग को बड़ा फ़ायदा मिला है। चीन में सरसों मील (रेपसीड मील) की मांग पिछले कुछ महीनों में तेजी से बढ़ी है, जिसका सीधा लाभ भारत को मिला है। चीन में पशु आहार उद्योग के विस्तार और घरेलू उत्पादन की कमी ने भारत से आयात को कई गुना बढ़ा दिया है। इसी वजह से 2025-26 के अप्रैल से अक्टूबर तक भारत का सरसों मील निर्यात असाधारण गति से बढ़ा है।
भारत का कुल ऑयल मील एक्सपोर्ट बढ़ा
अप्रैल-अक्टूबर 2025-26 के सात महीनों में भारत का कुल ऑयल मील एक्सपोर्ट बढ़कर 24.64 लाख टन पर पहुंचा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 23.88 लाख टन की तुलना में स्पष्ट बढ़त दिखाता है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण चीन से प्राप्त मजबूत मांग है, जिसने भारतीय शिपमेंट को स्थिर समर्थन दिया है। ऑयल मील एक्सपोर्ट लगभग 3% की दर से बढ़ा है, जिससे भारत की वैश्विक बाजार में स्थिति मजबूत हुई है।
चीन को निर्यात में बड़ी छलांग
इसी अवधि में चीन को भारत से भेजा गया सरसों मील शिपमेंट 15 हजार टन से उछलकर 5.81 लाख टन पर पहुंच गया। यह वृद्धि अभूतपूर्व है और दर्शाती है कि चीन अब भारत को रेपसीड मील के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में स्वीकार कर रहा है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार यह उछाल निकट भविष्य में भी जारी रह सकता है।
सरसों मील के अंतरराष्ट्रीय भाव
इन दिनों इंटरनेशनल मार्केट में सरसों मील के दाम काफी नरम पड़े हैं। वैश्विक स्तर पर कीमत गिरकर 217 डॉलर प्रति टन पर आ गई है, जिसने भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए और प्रतिस्पर्धी बना दिया है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह मूल्य स्तर आने वाले महीनों में भी भारत के पक्ष में रह सकता है।
भारत में सरसों की बुआई की स्थिति
देश में सरसों की खेती भी इस वर्ष उल्लेखनीय बढ़त दिखा रही है। किसानों ने अब तक लगभग 41 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुवाई की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13.5% अधिक है। पिछले वर्ष कुल बुवाई 90 लाख हेक्टेयर रही थी, जो पांच साल के औसत से भी काफी अधिक थी। हालांकि उद्योग जानकार विजय डाटा का कहना है कि शुरुआती तेजी के बाद बुआई की गति कुछ कम हुई है, क्योंकि कई किसान गेहूं की ओर रुख कर रहे हैं।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की राय
ट्रेडर्स एंड एक्सपर्ट्स ने बताया कि चीन में “ट्रंप टैरिफ” लागू होने के बाद कनाडा से आयात महंगा हो गया है, जिसके कारण चीन भारत से रेपसीड मील खरीदने में ज्यादा रुचि दिखा रहा है। भारत का चीन से आयात अधिक और निर्यात कम है, इसलिए ऑयल मील शिपमेंट का बढ़ना व्यापार संतुलन के लिए सकारात्मक संकेत है। ट्रेडर्स मानते हैं कि घरेलू बाजार में सरसों के दामों में मामूली तेजी आई है, लेकिन नई फसल आने तक खास बढ़त की उम्मीद नहीं है, हालांकि कीमतों में गिरावट भी नहीं दिखती।
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