Ujjain Land Pooling: किसान आंदोलन के सामने झुकी मध्य प्रदेश सरकार, सिंहस्थ के लिए अब नहीं होगा जमीन अधिग्रहण

भोपाल, 18 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन में आगामी सिंहस्थ-2028 के लिए लागू की गई विवादित ‘लैंड पूलिंग‘ योजना को वापस लेने का बड़ा फैसला किया है। किसानों के जोरदार विरोध और अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह निर्णय लिया। सरकार के इस कदम को किसान संगठनों की जीत के रूप में देखा जा रहा है।

क्या था मामला?

उज्जैन में हर 12 साल में आयोजित होने वाले सिंहस्थ (कुंभ) के दौरान, यह परंपरा रही है कि किसानों की जमीन को केवल 5 से 6 महीनों के लिए अस्थायी तौर पर लिया जाता था। लेकिन आगामी सिंहस्थ-2028 के लिए, राज्य सरकार ने स्थायी और वाणिज्यिक संरचनाओं के निर्माण का हवाला देते हुए ‘लैंड पूलिंग‘ नीति लागू की थी। इस नीति के तहत, सरकार किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर रही थी।

किसानों का कड़ा विरोध

किसानों ने सरकार की इस योजना पर तीखी आपत्ति जताई। उनका आरोप था कि इस नीति के माध्यम से उनकी उपजाऊ जमीनें उनसे हमेशा के लिए छीन ली जाएंगी, जबकि सिंहस्थ का आयोजन एक अस्थायी पर्व है। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) सहित विभिन्न किसान संगठनों ने इस कदम को अपनी पुश्तैनी जमीन पर हमला बताया और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो हजारों किसान 18 नवंबर से उज्जैन में डेरा डालकर बड़ा और अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर देंगे।

मुख्यमंत्री ने बुलाई बैठक, फैसला पलटा

विरोध की गंभीरता को देखते हुए, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तत्काल हस्तक्षेप किया। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों, उज्जैन क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, भाजपा पदाधिकारियों और जिला प्रशासन के साथ विस्तृत बैठक की। देर शाम तक चली इस चर्चा के बाद, किसानों की भावनाओं और मांगों को सर्वोपरि मानते हुए लैंड पूलिंग नीति को तत्काल प्रभाव से रद्द करने पर सहमति बनी।

CM ने दिया आश्वासन

फैसला लेने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसानों के सम्मान और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि लैंड पूलिंग रद्द होने के बावजूद, 2028 में होने वाले सिंहस्थ को ‘दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय’ रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि इस आयोजन के दौरान साधु-संतों और किसानों, दोनों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी।

सरकार के इस निर्णय का भारतीय किसान संघ ने स्वागत किया है और मुख्यमंत्री मोहन यादव के प्रति आभार व्यक्त किया है। यह फैसला बताता है कि किसानों की एकता और लोकतांत्रिक विरोध के सामने सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। अब सिंहस्थ के लिए जमीन अधिग्रहण की पुरानी प्रक्रिया, यानी अस्थायी तौर पर जमीन लेने के तरीके, पर ही काम किया जाएगा।

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