पूसा कृषि की नई पहल: स्टार्टअप-किसान कनेक्ट के साथ भारत के नए Agri-Innovation Engine का अनावरण किया

मुंबई, 14 नवंबर (कृषि भूमि डेस्क): भारतीय कृषि को अब अनुसंधान (Research) की चारदीवारी से निकलकर सीधे किसानों के खेत तक पहुंचने के लिए एक नया गति इंजन (Innovation Engine) मिल गया है। देश के प्रमुख कृषि अनुसंधान संस्थान ICAR-IARI (इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट) के पूसा कृषि (Pusa Krishi) विभाग ने हाल ही में Startup-Farmer Connect नामक एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का अनावरण किया है। इस पहल का उद्देश्य कृषि टेक्नोलॉजी (Farming Technology) के क्षेत्र में काम कर रहे AgTech Startups और लाखों किसानों के बीच की दूरी को पाटना है, ताकि डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंच सके और किसान समृद्धि का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।

ICAR-IARI और Agri Innovation:

पूसा संस्थान हमेशा से भारतीय कृषि में नवाचार का केंद्र रहा है। पूषा कृषि द्वारा लॉन्च किया गया यह ‘नया इंजन’ Agri Innovation को एक औपचारिक मंच प्रदान करता है। यह मान्यता है कि आज की कृषि चुनौतियाँ (Agricultural Challenges) केवल सरकारी अनुसंधान से नहीं, बल्कि युवा स्टार्टअप्स (Startups) के त्वरित और लचीले समाधानों से हल होंगी।

  1. इनक्यूबेशन और मेंटरिंग (Incubation & Mentoring): कृषि क्षेत्र में नई तकनीक विकसित कर रहे AgTech Startups को पूसा कृषि परिसर में इनक्यूबेशन (Incubation) और वैज्ञानिकों द्वारा सीधा मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
  2. फील्ड टेस्टिंग (Field Testing): स्टार्टअप्स द्वारा विकसित उत्पादों (Products) और सेवाओं (Services) का वास्तविक खेती के माहौल में परीक्षण (Testing) किया जाएगा ताकि उनकी प्रभावशीलता और व्यावहारिकता (Practicality) सुनिश्चित की जा सके।
  3. सरकारी सहयोग: पूसा कृषि एक सेतु (Bridge) के रूप में कार्य करेगा, जिससे स्टार्टअप्स को सरकारी फंडिंग और नियामक अनुमोदन (Regulatory Approvals) प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

Startup-Farmer Connect की कार्यप्रणाली:

Startup-Farmer Connect कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू किसानों की सीधी भागीदारी है। यह सिर्फ Technology बेचने का मॉडल नहीं है, बल्कि समस्या-समाधान (Problem-Solving) पर आधारित है।

  • जमीनी फीडबैक: स्टार्टअप्स अपनी Krishi Takneek को किसानों के खेतों में स्थापित करेंगे। किसान इन टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे और सीधा फीडबैक देंगे कि यह उनके लिए कितना कारगर है, खासकर सिंचाई, कीट प्रबंधन और फसल स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में।
  • समाधान स्थानीय: यह सुनिश्चित किया जाता है कि पेश किए गए समाधान स्थानीय जलवायु, मिट्टी और फसल पैटर्न के अनुकूल हों। उदाहरण के लिए, Digital Agriculture उपकरण जो उत्तर प्रदेश में सफल हैं, हो सकता है वे राजस्थान में अलग तरह से काम करें। Pusa Krishi इस अनुकूलन (Adaptation) में मदद करेगा।
  • टेक्नोलॉजी हस्तांतरण: सफल मॉडल को बड़े पैमाने पर किसानों तक पहुंचाने के लिए पूसा कृषि टेक्नोलॉजी हस्तांतरण (Technology Transfer) की प्रक्रिया को सरल बनाएगा।

किसान समृद्धि और Digital Agriculture का भविष्य:

यह पहल भारतीय कृषि के लिए एक उज्जवल भविष्य की नींव रखती है।

  • किसानों को लाभ: छोटे किसानों को अब महंगे और पुराने तरीकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्हें मौसम की सटीक जानकारी, मृदा स्वास्थ्य विश्लेषण और फसल रोग निदान के लिए AI और Drone Technology जैसे उपकरण आसानी से उपलब्ध होंगे, जिससे उत्पादन लागत (Production Cost) में कमी आएगी और उत्पादकता (Productivity) बढ़ेगी, जिससे अंततः किसान समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • स्टार्टअप्स को लाभ: AgTech Startups को एक विश्वसनीय इकोसिस्टम (Ecosystem) और बाजार पहुंच (Market Access) मिलेगी। ICAR-IARI का समर्थन उन्हें विश्वसनीयता प्रदान करेगा।

यह Startup-Farmer Connect कार्यक्रम सिर्फ एक कृषि टेक्नोलॉजी पहल नहीं है, बल्कि यह भारतीय कृषि में एक सांस्कृतिक बदलाव (Cultural Shift) का प्रतीक है, जहाँ वैज्ञानिक अनुसंधान, युवा उद्यमिता (Young Entrepreneurship) और किसानों की मेहनत एक साथ मिलकर खाद्य सुरक्षा (Food Security) और राष्ट्रीय विकास (National Development) के लक्ष्य को मजबूत करेंगे।

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