घरेलू काली मिर्च के दाम में तेज़ी, 4 दिन का ठहराव खत्म; वियतनाम बाज़ार स्थिर

मुंबई, 13 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):  भारत में काली मिर्च (Black Pepper) के दाम में एक बार फिर तेजी देखने को मिली है। चार दिनों तक लगभग स्थिर रहने के बाद घरेलू बाजार में कीमतों ने गति पकड़ी है। इस दौरान वियतनाम जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय उत्पादन केंद्र में बाज़ार अपेक्षाकृत स्थिर रहा, जिससे दोनों ओर के ट्रेंड्स किसानों और व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण संकेत दे रहे हैं।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में काली मिर्च के थोक भाव 59,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर रिपोर्ट हुए हैं। वहीं, वियतनाम के घरेलू बाजार में 31 अक्टूबर 2025 को काली मिर्च की कीमतें लगभग 144,000–146,000 वियतनामी Dong प्रति किलोग्राम के स्तर पर बनी थीं और बदलने की गति कम थी।

क्यों आई तेजी?
इस तेजी के पीछे कई कारण काम कर रहे हैं। भारत और अन्य प्रमुख उत्पादन देशों में उत्पादन में गिरावट रही है। आपूर्ति-संकट ने भी असर डाला, विशेषकर वियतनाम में जब आपूर्ति सीमित बनी है तो सेलर्स कीमत नीचे नहीं लेना चाहते। इसके अलावा, उपभोक्ता मांग स्थिर बनी हुई है, जिससे “ट्रेडर्स होल्डिंग स्टॉक” का रुझान दिखाई दे रहा है, जिसने बाजार में आवक को कम किया है और भाव बढ़ाए हैं।

वियतनाम में स्थिरता भी संकेत-देती
वियतनाम बाजार में इस समय बड़ी तेजी नहीं है बल्कि स्थिरता का दौर है। इसके मुख्य कारण हैं कि उत्पादन वर्ष में पहले आई गिरावट के बाद बेचने वाले सामग्री सीमित रख रहे हैं और बड़े निर्यात अनुबंध अब तक बहुत सक्रिय नहीं हैं। इस स्थिरता का मतलब है कि वैश्विक आपूर्ति-स्थिति कोई अचानक राहत देने वाला नहीं है।

किसानों के दृष्टिकोण से यह उछाल लाभकारी हो सकता है, अगर उनकी मिर्च बाज़ार में समय पर पहुंचे तो बेहतर कीमत मिल सकती है। लेकिन उपभोक्ताओं को यह चेतावनी है कि केवल घरेलू आपूर्ति में कमी नहीं है, बल्कि विश्व स्तर पर काली मिर्च की आपूर्ति तनाव में है, जिससे भाव आगे भी ऊपर की ओर मुड़ सकते हैं। व्यापारियों के लिहाज़ से यह मौका है कि वे स्टॉक्स को कम समय के लिए होल्ड करें और आगे की संभावित ऊँची कीमतों के लिए तैयार रहें।

आगे का ट्रेंड क्या हो सकता है?
विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के अंत तक काली मिर्च के भाव मजबूत बने रह सकते हैं। उत्पादन में त्वरित सुधार की संभावना कम दिख रही है, जबकि मांग जारी है। यदि वियतनाम या भारत में मौसम और बेलों की समस्या बनी रही, तो अगले कुछ महीनों में कीमतें 5-10% और बढ़ सकती हैं। इसके विपरीत, यदि नए बेल तेजी से उत्पादन देने लगे तो गिरावट की संभावना बनी रह सकती है।

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