नई दिल्ली, 10 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): सोयाबीन खरीद समझौते के बाद चीन ने अब अमेरिका से गेहूं और ज्वार खरीदने के लिए नया करार किया है। यह पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय में अमेरिका से चीन की पहली गेहूं खरीद है। इस समझौते के तहत चीन 1.2 लाख टन नरम और वसंत गेहूं की खरीद करेगा।

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच पिछले साल से व्यापार युद्ध जारी है, जिससे कृषि उत्पादों की आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ा था। हालांकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद माहौल में सुधार के संकेत मिले हैं।

सोयाबीन के बाद अब गेहूं और ज्वार
कुछ दिन पहले चीन ने मौजूदा वर्ष के अंतिम दो महीनों में अमेरिका से 1.2 करोड़ टन सोयाबीन आयात करने की घोषणा की थी। इसके अलावा, अगले तीन वर्षों तक वह प्रति वर्ष कम से कम 2.5 करोड़ टन सोयाबीन खरीदने का वादा भी कर चुका है।

अब, गेहूं और ज्वार की यह खरीद इस बात का संकेत है कि चीन अमेरिका से कृषि उत्पादों का आयात फिर बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

2024-25 में घटा था चीन का गेहूं आयात
पिछले विपणन वर्ष 2024-25 में चीन ने लगभग 20 लाख टन अमेरिकी गेहूं आयात किया था, लेकिन बंपर घरेलू फसल के बाद उसने मौजूदा वर्ष में अब तक कोई गेहूं नहीं खरीदा था।

अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, 2024 में चीन ने 14.01 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया था, जिससे उसका कुल आयात घटकर सिर्फ 42 लाख टन रह गया — यह छह वर्षों में सबसे कम स्तर था।

ज्वार खरीद में भी अमेरिका को फिर मौका
इतिहास में अमेरिका चीन का सबसे बड़ा ज्वार आपूर्तिकर्ता रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीन ने ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसे देशों से ज्वार खरीदना बढ़ा दिया था।

2023-24 में चीन ने अमेरिका से लगभग 56 लाख टन ज्वार खरीदा था, जो व्यापार तनाव के कारण बाद में काफी घट गया।

अमेरिकी कृषि संगठनों ने किया स्वागत
अमेरिकी कृषि संगठनों ने इस समझौते का स्वागत किया है। यूएस ग्रेन एंड बायोप्रोडक्ट्स काउंसिल (USGBC) ने कहा, “हम ट्रंप प्रशासन और चीन के बीच हुए इस समझौते से प्रसन्न हैं। यह हमारे किसानों और वैश्विक मूल्य श्रृंखला दोनों के लिए लाभकारी है।”

नेशनल सोरघम प्रोड्यूसर्स (NSP) के सीईओ टिम लस्ट ने कहा, “चीन के साथ यह नया व्यापार समझौता हमारे उद्योग के लिए उत्साहजनक है। अगर सालाना कम से कम 50 लाख टन की खरीद सुनिश्चित हो जाए तो यह अमेरिकी ज्वार उत्पादकों के लिए दीर्घकालिक स्थिरता देगा।”

यह नया करार केवल एक व्यापारिक कदम नहीं, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच कृषि-संबंधों में बढ़ती नरमी का संकेत भी है। आने वाले महीनों में इसका असर वैश्विक कृषि-बाजारों, खासकर सोयाबीन, गेहूं और ज्वार की कीमतों पर दिख सकता है।

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