मुंबई, 06 नवंबर (कृषि भूमि डेस्क): कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को लगभग स्थिर रहीं, क्योंकि कमजोर वैश्विक मांग और अधिक आपूर्ति के बीच अमेरिकी भंडार में वृद्धि ने बाजार पर दबाव बनाए रखा है। ब्रेंट क्रूड वायदा 2 सेंट या 0.03% की मामूली बढ़त के साथ $63.54 प्रति बैरल पर पहुँचा, जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) $59.60 प्रति बैरल पर स्थिर रहा। पिछले सत्र में दोनों बेंचमार्क दो सप्ताह के निचले स्तर पर बंद हुए थे — WTI 60 डॉलर के नीचे और ब्रेंट 64 डॉलर से नीचे आ गया था।
EIA रिपोर्ट: अमेरिकी भंडार में बड़ी वृद्धि
अमेरिकी एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (EIA) की रिपोर्ट के अनुसार, 31 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में अमेरिका के कच्चे तेल भंडार में 52 लाख बैरल की वृद्धि हुई — जो जुलाई के बाद की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है।
हालाँकि, यह वृद्धि उद्योग समूहों के पूर्वानुमान से थोड़ी कम रही। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि गैसोलीन का भंडार लगभग 50 लाख बैरल घटकर तीन साल के निचले स्तर पर पहुँच गया है, जो रिफाइनिंग गतिविधियों में स्थिरता को दर्शाता है। EIA के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी रिफाइनरी रन दर 85% के करीब बनी रही, जबकि निर्यात और घरेलू खपत में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया।
वैश्विक बाजार: मांग कमजोर, आपूर्ति बढ़ी
OPEC+ देशों और अन्य प्रमुख उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में वृद्धि के चलते वैश्विक बाजार में अधिक आपूर्ति (oversupply) की स्थिति बन रही है। कमोडिटी ट्रेडर Mercuria Energy Group के प्रमुख ने अबू धाबी में आयोजित ADNOC ADIPEC 2025 सम्मेलन में कहा, “तेल की अतिरिक्त आपूर्ति धीरे-धीरे बढ़ रही है, और अगले साल तक यह 20 लाख बैरल प्रति दिन तक पहुँच सकती है।” यह स्थिति मांग की सुस्ती के साथ मिलकर कीमतों पर दबाव बनाए रख रही है।
2025 में अब तक 17% गिर चुका है तेल
अमेरिकी बेंचमार्क WTI इस वर्ष अब तक लगभग 17% नीचे है, जबकि ब्रेंट क्रूड में 15% से अधिक की गिरावट देखी गई है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं चीन और यूरोप में औद्योगिक गतिविधियों में मंदी, अमेरिका में भंडारण की बढ़ोतरी, और मध्य-पूर्व में आपूर्ति रुकावटों की कमी। Reuters और Bloomberg की नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, निवेशक अब OPEC की दिसंबर बैठक में उत्पादन को स्थिर रखने या कटौती पर चर्चा की संभावना पर नजर बनाए हुए हैं।
Goldman Sachs का अनुमान है कि वैश्विक मांग अगले वर्ष के पहले छह महीनों में लगभग 10 लाख बैरल प्रतिदिन की दर से घट सकती है। वहीं Morgan Stanley ने चेतावनी दी है कि यदि ओपेक उत्पादन कटौती पर सहमत नहीं होता, तो ब्रेंट क्रूड $60 प्रति बैरल से नीचे जा सकता है। ANZ Research का मानना है कि अमेरिका और यूरोप में ईंधन की खपत में गिरावट और उच्च भंडार “short-term bearish momentum” को बनाए रखेंगे।
एशियाई बाजारों पर असर
भारत और चीन जैसे बड़े आयातक देशों के लिए यह स्थिरता राहतभरी है। भारत के संदर्भ में, पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि यदि कीमतें $60–65 प्रति बैरल के दायरे में रहती हैं, तो रिटेल फ्यूल कीमतों में कोई संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी। विश्लेषकों का कहना है कि यह रेंज भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए “सुविधाजनक जोन” है, जहाँ आयात बिल नियंत्रित रहता है और मुद्रास्फीति पर असर नहीं पड़ता।
कमजोर वैश्विक मांग और उच्च भंडार के चलते फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें स्थिर लेकिन दबाव में हैं। हालांकि, मध्य-पूर्व की भू-राजनीतिक स्थिति और आने वाले सर्दी मौसम की ऊर्जा मांग कीमतों को फिर से प्रभावित कर सकती है। बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि निकट भविष्य में तेल $58–65 प्रति बैरल के दायरे में रह सकता है।
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