दिल्ली, 3 नवंबर :(कृषि भूमि ब्यूरो): प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों को बेहद कम क्लेम राशि — जैसे 1 रुपये, 3 रुपये या 21 रुपये — मिलने के मामले ने केंद्र सरकार का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस पर केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि किसानों के साथ ऐसा मज़ाक अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में चौहान ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को तलब कर पूरी पड़ताल के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में शुरू की गई थी, लेकिन अगर इसके तहत किसानों को 1 या 5 रुपये जैसी नाममात्र की राशि मिल रही है, तो यह योजना की भावना के विपरीत है और इसकी गहराई से जांच की जाएगी।
किसानों के साथ सीधा संवाद, शिकायतें सुनीं
बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कई किसानों को वर्चुअल माध्यम से जोड़ा और उनसे सीधे बातचीत की। किसानों ने बताया कि उन्होंने फसल बीमा के लिए पूरी प्रीमियम राशि भरी, बावजूद इसके नुकसान के बाद उन्हें या तो ‘जीरो लॉस’ दिखाया गया या फिर महज कुछ रुपये का क्लेम दिया गया।
शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के सीहोर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कई किसानों को या तो 1 रुपये का क्लेम मिला या फिर उनका नुकसान ही नहीं माना गया। उन्होंने कहा, “क्या यह किसानों के साथ अन्याय नहीं है? अगर कोई किसान बीमा के लिए पूरी रकम देता है और फसल नष्ट होने पर उसे सिर्फ एक रुपये मिलते हैं, तो यह पूरी योजना की साख पर सवाल उठाता है।”
इसी तरह, महाराष्ट्र के अकोला जिले के किसानों ने भी शिकायत की कि उन्हें 5 या 21 रुपये जैसी राशि क्लेम के तौर पर दी गई। चौहान ने इस पर बीमा कंपनियों से जवाब तलब करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएँ दर्शाती हैं कि नुकसान का आकलन वैज्ञानिक तरीके से नहीं हो रहा।
बीमा कंपनियों और अधिकारियों को फटकार
कृषि मंत्री ने बैठक में साफ तौर पर कहा कि किसानों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ, कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और बीमा कंपनियों के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी मामलों की फील्ड जांच की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के नुकसान का आकलन वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने रिमोट सेंसिंग तकनीक से आंकलन की जांच कराने और आवश्यक होने पर योजना के प्रावधानों में संशोधन करने की बात कही।
चौहान ने स्पष्ट किया, “किसानों को क्लेम राशि में देरी नहीं होनी चाहिए। बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि नुकसान के सर्वे के समय अनिवार्य रूप से मौजूद रहें ताकि पारदर्शिता बनी रहे।”
राज्यों की लापरवाही पर भी नाराज़गी
बैठक में यह मुद्दा भी सामने आया कि कुछ राज्य सरकारें अपने हिस्से की सब्सिडी राशि समय पर केंद्र को नहीं भेजतीं, जिसके कारण बीमा क्लेम का भुगतान देर से होता है। इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि जो राज्य ऐसा करते पाए जाएंगे, उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाएगा।
उन्होंने कहा, “राज्यों की ढिलाई से केंद्र सरकार की छवि खराब नहीं होनी चाहिए। किसानों को उनका हक समय पर मिलना चाहिए। अगर कोई राज्य सब्सिडी देने में देरी करता है, तो उसका खामियाजा किसान क्यों भुगते?”
फील्ड जांच और तकनीकी पारदर्शिता पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ को निर्देश दिया कि जिन किसानों को 1, 2 या 5 रुपये जैसे क्लेम मिले हैं, उन सभी मामलों की स्थानीय स्तर पर जांच कराई जाए। जांच के दौरान कलेक्टर, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि और किसान — सभी पक्षों की राय ली जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
इसके साथ ही चौहान ने कहा कि अब किसानों को तकनीक से जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें अपने बीमा क्लेम की पूरी प्रक्रिया की जानकारी वास्तविक समय में मिल सके। इसके लिए योजना को एक एकीकृत तकनीकी प्लेटफॉर्म से जोड़ने पर जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि किसान हर कदम पर जान सकें कि उनका क्लेम किस स्थिति में है। तकनीक के इस्तेमाल से पारदर्शिता बढ़ेगी और गड़बड़ियों की संभावना कम होगी।”
किसानों को न्याय और पारदर्शी व्यवस्था का भरोसा
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए मोदी सरकार का सुरक्षा कवच है। इसका उद्देश्य किसानों को फसल हानि की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा देना है, न कि उन्हें भ्रम या अन्याय में डालना। उन्होंने कहा कि योजना की खामियों को ठीक करने के लिए जल्द कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने कहा, “मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि किसी को भी उनका हक छीने जाने नहीं दिया जाएगा। फसल बीमा योजना किसानों के हित में बनी है और इसे मज़ाक बनने नहीं देंगे।”
सुधारों के सुझाव और भविष्य की दिशा
बैठक के अंत में मंत्री ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों, बीमा कंपनियों और मंत्रालय के विशेषज्ञों से सुझाव मांगे ताकि योजना को और प्रभावी बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि भविष्य में क्लेम की गणना प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और वैज्ञानिक बनाया जाएगा। इसके लिए उपग्रह डेटा, रिमोट सेंसिंग और मोबाइल ऐप के जरिए नुकसान के सर्वे को सटीक बनाने की योजना है।
चौहान ने कहा, “फसल बीमा योजना किसानों के लिए वरदान है, लेकिन कुछ गड़बड़ियाँ इसे बदनाम कर रही हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि इसे सुधारें, ताकि हर किसान को उसका वास्तविक हक समय पर मिले।”
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत छोटे-मोटे क्लेम के मामलों ने सरकार को योजना की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का सख्त रुख इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार की जांच और तकनीकी सुधार के बाद क्या किसान वास्तव में इस योजना से लाभान्वित हो पाएंगे — या फिर यह विवाद आगे और गहराता है।
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