नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): नई दिल्ली के भारत मंडपम में 30–31 अक्टूबर को होने जा रही भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC 2025) कृषि क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक आयोजन माना जा रहा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, इस सम्मेलन में 25,000 करोड़ रुपये के चावल निर्यात समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर करने और 1.80 लाख करोड़ रुपये तक के नए बाजार अवसरों की खोज की तैयारी है।
वैश्विक चावल व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत करने का लक्ष्य
मंत्रालय के अनुसार, BIRC 2025 का उद्देश्य भारत की चावल निर्यात में अग्रणी भूमिका को और सुदृढ़ करना है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 172 देशों को चावल निर्यात किया, जो वैश्विक चावल व्यापार का करीब 28% है। पिछले वर्ष भारत ने 12.95 अरब डॉलर मूल्य का 201 लाख मीट्रिक टन चावल निर्यात किया। घरेलू उत्पादन भी 15 करोड़ टन तक पहुंच गया है, और पैदावार 2014–15 के 2.72 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3.2 टन हो गई है।
सम्मेलन में भागीदारी और उद्देश्य
यह आयोजन इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) और APEDA द्वारा वाणिज्य, उपभोक्ता मामले, खाद्य प्रसंस्करण, सहकारिता और कृषि मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसमें 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, 3,000 किसान और एफपीओ, 1,000 विदेशी खरीदार, और 2,500 निर्यातक एवं मिलर्स भाग लेंगे। फिलीपींस, घाना, नामीबिया और गाम्बिया के विदेश मंत्री भी सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
चावल: खाद्य सुरक्षा का आधार
दुनिया में 4 अरब से अधिक लोग चावल को मुख्य आहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यह 100 देशों में लगभग 15 करोड़ छोटे किसानों की आजीविका का जरिया है। 1961 में 21.6 करोड़ टन से बढ़कर अब चावल उत्पादन 77.6 करोड़ टन हो गया है, जिसकी वैश्विक बाजार वैल्यू लगभग 330 अरब डॉलर है।
चावल की खेती दुनिया के 16.7 करोड़ हेक्टेयर में की जाती है, जिसमें सिंचाई के पानी का 24–30% हिस्सा लगता है। इसलिए, BIRC 2025 में क्लाइमेट-स्मार्ट खेती, ट्रेसेबिलिटी और सस्टेनेबिलिटी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर फोकस
कॉन्फ्रेंस में भारत की पहली AI-पावर्ड राइस सॉर्टिंग और ग्रेडिंग टेक्नोलॉजी को लॉन्च किया जाएगा। यह सिस्टम बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अनाज के रंग, आकार और बनावट का विश्लेषण करता है, जिससे लागत कम और सटीकता अधिक होती है।
महिला उद्यमियों, स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए विशेष पैवेलियन में जलवायु-सहिष्णु खेती, ब्लॉकचेन-आधारित ट्रेसेबिलिटी सॉल्यूशंस, डिजिटल मार्केटप्लेस टूल, और कटाई के बाद की नई तकनीकें प्रदर्शित की जाएंगी।
राज्यों की विशेष सहभागिता
जम्मू-कश्मीर, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, ओडिशा, मेघालय, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के स्टॉलों पर GI-टैग्ड चावल की किस्में और सस्टेनेबल खेती के मॉडल प्रदर्शित होंगे।
मेघालय अपने पारंपरिक चावल जैसे पनाह इओंग, म्यनरी, मांगसांग, मिनिल और खॉ बिरिउन को प्रदर्शित करेगा, जिनकी खेती बारिश के पानी से की जाती है।
ऑर्गेनिक और कोऑपरेटिव सेक्टर की मौजूदगी
नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) अपने “भारत ऑर्गेनिक्स” ब्रांड के तहत ऑर्गेनिक चावल रेंज और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर प्लेटफॉर्म लॉन्च करेगा। पारंपरिक किस्में जैसे काला नमक, गोबिंदभोग, ब्लैक राइस, इंद्रायणी और रेड मट्टा को प्रमोट किया जाएगा ताकि सर्टिफाइड ऑर्गेनिक चावल की मांग बढ़े। DGFT ट्रेड कनेक्ट पोर्टल को भी निर्यातकों के लिए एक यूनिफाइड डिजिटल गेटवे के रूप में पेश किया जाएगा।
नीतिगत और शोध साझेदारी
BIRC 2025 में आठ से अधिक टेक्निकल सेशन होंगे, जिनमें नीति निर्माता, उद्योग विशेषज्ञ और शोध संस्थान भाग लेंगे।
वाणिज्य विभाग, APEDA, IREF, ICAR और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) मिलकर अगले छह महीनों में एक अंतिम विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेंगे।
फ्लैगशिप ग्लोबल प्लेटफॉर्म के रूप में BIRC का विस्तार
मंत्रालय के अनुसार, आगे चलकर BIRC का आयोजन हर वर्ष किया जाएगा, ताकि यह चावल के व्यापार, नीति और तकनीकी सहयोग के लिए एक फ्लैगशिप ग्लोबल प्लेटफॉर्म बने। फिलीपींस, म्यांमार, नाइजर, कोमोरोस, जॉर्डन, लाइबेरिया, गाम्बिया और सोमालिया इस वर्ष के पार्टनर देश होंगे, जबकि IRRI-SARC, E&Y और S&P ग्लोबल नॉलेज पार्टनर के रूप में सहयोग देंगे।
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