चंडीगढ़, 13 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): बीज उद्योग संघ (FSII) ने पंजाब सरकार को ‘बीज (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2025′ को लेकर कड़ा पत्र लिखते हुए अपनी गंभीर आपत्तियाँ दर्ज करवाई हैं। संघ का कहना है कि यह विधेयक ऐसे प्रावधानों से भरा है जो छोटे-मोटे प्रशासनिक मामलों को भी आपराधिक श्रेणी में डाल देता है, जिससे बीज उद्योग के कारोबारी जेल तक जा सकते हैं।
FSII ने इसे केंद्र सरकार की ‘जन विश्वास’ पहल के खिलाफ बताया, जिसका उद्देश्य छोटे अपराधों का अपराधीकरण खत्म कर व्यापार को आसान बनाना है। उनका कहना है कि यह विधेयक कानूनी असंगतियों से भरा हुआ है और इससे निवेश, नवाचार और उद्योग के आत्मविश्वास पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
संघ ने विशेष रूप से विधेयक में जोड़ी गई धारा 19A को खतरनाक बताया है। FSII का तर्क है कि यह धारा वैध बीज उत्पादकों और वितरकों को भी आपराधिक प्रक्रिया में घसीट सकती है, जबकि इसे केवल अवैध और धोखेबाज विक्रेताओं पर लागू होना चाहिए।
FSII ने सुझाव दिया है कि सरकार को इस धारा पर पुनर्विचार कर, केवल “फ्लाइ-बाय-नाइट ऑपरेटरों” को ही इसके दायरे में लाना चाहिए। इससे ईमानदार व्यवसायियों को कानूनी परेशानियों से बचाया जा सकेगा और कृषि नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।
बीज उद्योग संघ ने यह स्पष्ट किया कि वे नकली बीजों के खिलाफ सख्त कदमों का समर्थन करते हैं, लेकिन विधेयक का आपराधिक स्वरूप न केवल असंवैधानिक है, बल्कि नवाचार और अनुसंधान के लिए भी हानिकारक है। उनका मानना है कि इससे पंजाब, जो कृषि अनुसंधान में अग्रणी राज्य है, अपनी यह स्थिति खो सकता है।
यह विधेयक 26 सितंबर को पंजाब विधानसभा में पारित हुआ और उसी दिन इसकी गजट अधिसूचना भी जारी की गई। FSII ने इसके तुरंत बाद प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से अपील की है कि वह इसे वापस ले और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ खुली बातचीत करे ताकि संतुलित और व्यावहारिक नीति बनाई जा सके।
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