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नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मंत्रियों के साथ बैठक में पराली प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक में मुख्य रूप से पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने, पराली के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देने, और किसानों के बीच जागरूकता और वित्तीय सहायता को सुनिश्चित करने पर विचार किया गया।

बैठक में यह भी चर्चा की गई कि किस प्रकार से निगरानी, फसल प्रबंधन, और विविधीकरण के उपायों से पराली जलाने की समस्या का समाधान किया जा सकता है। श्री चौहान ने राज्यों के प्रयासों की सराहना की और इस दिशा में समन्वित प्रयासों के महत्व पर बल दिया। उनका मानना है कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच बेहतर तालमेल से ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।

मीटिंग की मुख्य बातें:

  1. पराली जलाने से वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय:
    • बैठक में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस रणनीतियों पर चर्चा की गई।
  2. किसानों को वित्तीय सहायता:
    • पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को वित्तीय सहायता और प्रेरणा देने के लिए सरकार के कदमों पर चर्चा की गई।
  3. पराली का बेहतर उपयोग:
    • पराली के उपयोग को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार किया गया, जिससे उसकी कीमत बढ़े और जलाने की बजाय उसका उपयोग फसल अवशेषों के रूप में किया जाए।
  4. जागरूकता और निगरानी:
    • किसानों के बीच पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने और निगरानी तंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
  5. राज्यों के प्रयासों की सराहना:
    • कृषि मंत्री ने राज्यों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।

यह बैठक पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ कृषि क्षेत्र की स्थिरता और किसान कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच समन्वित प्रयासों से पराली जलाने की समस्या को हल किया जा सकता है, जिससे वायु प्रदूषण कम होगा और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा।

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