लखनऊ, 2 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
परंपरागत खेती के इतर कुछ नया करने की सोच ने यूपी (UP) के फतेहपुर ज़िले के किसान अशोक तपस्वी को देशभर में एक नई पहचान दिलाई है। उन्होंने बंजर पड़ी ज़मीन पर ‘एनेटो’ (Annatto) पौधे की खेती कर भारत का पहला जैविक सिंदूर फार्म स्थापित किया है, जो न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि टिकाऊ कृषि की मिसाल भी बन गया है।
क्या है एनेटो (Annatto)?
एनेटो एक प्राकृतिक रंग देने वाला पौधा है, जिससे सिंदूर, खाद्य रंग और कॉस्मेटिक उत्पादों में उपयोग होने वाला लाल-नारंगी पिगमेंट प्राप्त किया जाता है। इसे ‘ऑर्गेनिक सिंदूर’ भी कहा जाता है क्योंकि यह रासायनिक रंगों की तुलना में पूरी तरह सुरक्षित और प्राकृतिक होता है।
रासायनिक उर्वरकों से दूरी, जैविक खेती से जुड़ाव
अशोक तपस्वी ने इस फार्म पर किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने गोबर खाद, नीम का तेल, वर्मी कम्पोस्ट जैसी प्राकृतिक तकनीकों का सहारा लेकर सिंदूर उत्पादन को पूरी तरह जैविक रखा। उनकी सालाना कमाई ₹8–₹10 लाख रुपये तक पहुँच गई है, जो पहले की पारंपरिक खेती से कई गुना अधिक है।
किसानों के लिए प्रेरणा बना यह मॉडल
अशोक तपस्वी की सफलता ने आसपास के गांवों के किसानों को भी प्रेरित किया है। कई युवा अब पारंपरिक गेहूं-धान की खेती छोड़कर मूल्यवर्धित, जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। किसान अशोक तपस्वी का कहना है, “पहले तो सब लोग हँसते थे कि सिंदूर की खेती (Cultivation of Vermillion) भी कोई करता है क्या? लेकिन आज जब उत्पाद की मांग और दाम देखते हैं तो सभी इसे सीखना चाहते हैं।”
सरकारी और निजी संस्थाएं भी हुईं सहयोगी
अशोक को यह सफलता कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), स्थानीय जैविक कृषि संगठनों और उनके स्वयं के प्रयोगों के मेल से मिली। उन्होंने न सिर्फ खेती की, बल्कि प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का भी छोटा प्लांट लगाया, जिससे उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुँच सके।
अब अशोक तपस्वी अपनी जमीन पर एनेटो के साथ हल्दी, गुलाब और लैवेंडर जैसी औषधीय और सुगंधित फसलों की जैविक खेती शुरू करने की योजना बना रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि ग्रामीण युवाओं को भी जैविक खेती से जोड़कर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
अशोक तपस्वी की यह पहल न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि वह भारत में कृषि नवाचार और जैविक क्रांति की ओर एक प्रेरणादायक कदम भी है। उनके प्रयास यह दिखाते हैं कि सही सोच, धैर्य और मेहनत से कोई भी किसान बंजर जमीन को सोना बना सकता है।
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