अहमदाबाद, 08 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
Agri News : भारतीय टेक्सटाइल उद्योग ने केंद्र सरकार से अपील की है कि कपास (Cotton) के आयात पर लागू 11 प्रतिशत शुल्क को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए, ताकि देश की वस्त्र एवं परिधान इकाइयाँ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
वर्तमान में अमेरिका में भारतीय वस्त्र उत्पादों पर आयात टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद स्थिति और जटिल हो गई है। ऐसे में घरेलू कॉटन की तुलना में अमेरिकी कॉटन प्रति गांठ लगभग ₹10,800 सस्ता पड़ रहा है। इस मूल्य अंतर के कारण अमेरिका जैसे देशों से निर्मित यार्न, टेक्सटाइल उत्पाद और रेडीमेड गारमेंट्स वैश्विक बाजार में सस्ते और अधिक प्रतिस्पर्धी साबित हो रहे हैं।
भारतीय वस्त्र निर्यात को संकट
टेक्सटाइल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि महंगा कच्चा माल भारतीय उत्पादों की लागत बढ़ा रहा है, जिससे देश के वस्त्र और रेडीमेड गारमेंट्स निर्यात में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है। उद्योग जगत का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो भारत की पारंपरिक टेक्सटाइल इकाइयाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ खो सकती हैं।
उद्योग जगत की अपील
टेक्सटाइल कंपनियों, निर्यातकों और व्यापारिक संघों ने सरकार से यह मांग की है कि घरेलू उद्योग को राहत देने हेतु कपास पर आयात शुल्क समाप्त किया जाए या इसमें पर्याप्त कटौती की जाए, जिससे भारत वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में बना रह सके।
विशेषज्ञों का यह भी तर्क है कि यह निर्णय किसानों के लिए भी दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि जब उद्योग स्थिरता में रहेगा, तो मांग में सुधार होगा और घरेलू बाजार भी मजबूत बनेगा।
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