मुंबई, 11 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):  खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) भारतीय अर्थव्यवस्था (Bhartiya Arthvyavastha) के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण सूचक है। यह सीधा आम आदमी की जेब पर असर डालता है। हालिया आंकड़ों ने देश को एक बड़ी राहत दी है, क्योंकि खुदरा महंगाई दर अक्टूबर के महीने में गिरकर केवल 0.25% पर आ गई है। यह दर न केवल अनुमानों से काफी कम है, बल्कि यह पिछले पूरे दशक का सबसे निचला स्तर है। सितंबर में यह आंकड़ा 1.54% था, जिसमें अक्टूबर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। लगातार चौथे महीने महंगाई दर (Mahangai Dar) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4% के मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है, जो सात महीने से 6% की ऊपरी सहिष्णुता सीमा से भी नीचे है। यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और आपूर्ति पक्ष में सुधार को दर्शाती है।

महंगाई के नीचे आने के मुख्य कारण: खाद्य कीमतें और सरकारी कदम

इस शानदार गिरावट के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण काम कर रहे हैं। सबसे प्रमुख कारण है खाद्य महंगाई (Khadya Mahangai) में तेज गिरावट। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बास्केट का लगभग आधा हिस्सा खाद्य पदार्थों का होता है, और अक्टूबर में खाद्य कीमतों में सालाना आधार पर 5.02% की गिरावट आई है, जबकि सितंबर में यह 2.33% थी।

सब्जियों की कीमतों में रिकॉर्ड कमी

सब्जियों की कीमतों में आई भारी गिरावट ने इस पूरे परिदृश्य को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार पर 27.57% की भारी कमी दर्ज की गई है। लगातार छह महीनों से सब्जियों के दामों में दोहरे अंकों की गिरावट जारी है। यह गिरावट मजबूत आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) और बम्पर उत्पादन का परिणाम है। इसके अलावा, तेल और वसा (Oils and fats), अंडे (Egg), फल (Fruits), अनाज (Cereals) और इनसे बने उत्पादों की महंगाई दर में भी कमी आई है।

जीएसटी दरों में कटौती का प्रभाव

महंगाई को कम करने में सरकार के नीतिगत फैसलों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जीएसटी दर कटौती (GST Dar Kautauti) के पूरे महीने के प्रभाव से कारों से लेकर दैनिक उपयोग के उत्पादों तक की कीमतें कम हुई हैं। अनुकूल आधार प्रभाव (Favourable Base Effect) भी इस ऐतिहासिक गिरावट में एक सहायक कारक रहा है। परिवहन और संचार (Transport and Communication) जैसी सेवाओं की लागत में कमी भी खुदरा महंगाई दर को नीचे लाने में सहायक सिद्ध हुई है।

आरबीआई की नीति और ब्याज दर पर प्रभाव

महंगाई दर का यह नरम रुख आरबीआई ब्याज दर (RBI Byaj Dar) की दिशा तय करने में निर्णायक साबित होगा। पिछले महीने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में, RBI ने भले ही ब्याज दर को स्थिर रखा हो, लेकिन उसने संकेत दिया था कि महंगाई के अनुकूल माहौल से विकास (Growth) को समर्थन देने के लिए आगे नीतिगत दरों में ढील (Rate Cuts) देने की गुंजाइश है।

दी इकनोमिक टाइम्स के अनुसार, RBI ने अपने अनुमानों को भी संशोधित किया है। केंद्रीय बैंक ने पूरे वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए मुख्य महंगाई दर (Headline Inflation) का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है। तिमाही-वार अनुमान भी काफी कम हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस नरमी को देखते हुए, RBI के पास अब विकास को गति देने के लिए 25 से 50 आधार अंकों की और दर में कटौती करने का पर्याप्त अवसर है। कोर सीपीआई (खाद्य और ईंधन को छोड़कर) भी अगस्त में 4.2% पर नियंत्रित रही है, जो समग्र स्थिति को और मजबूत करती है।

आम आदमी और भविष्य की चुनौतियाँ

यह रिकॉर्ड तोड़ गिरावट आम नागरिक के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इससे उनकी क्रय शक्ति (Purchasing Power) बढ़ेगी और पारिवारिक बजट पर दबाव कम होगा। यह निवेशकों के लिए भी सकारात्मक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास (Economic Growth) को मुद्रास्फीति (Inflation) के दबाव के बिना हासिल किया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में लगभग 8% की दर से वृद्धि की, जो महंगाई कम होने के साथ-साथ मजबूत विकास दर को बनाए रखने की भारत की क्षमता को रेखांकित करता है। हालांकि, RBI ने भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions) और व्यापार से संबंधित टैरिफ व्यवधानों (Tariff-related trade disruptions) के कारण भविष्य के दृष्टिकोण पर सावधानी बरतने की सलाह भी दी है। खुदरा महंगाई दर की निगरानी निकट भविष्य में भी महत्वपूर्ण बनी रहेगी, खासकर त्योहारी मौसम के बाद बाजार में मांग (Demand) की स्थिरता को समझने के लिए। कुल मिलाकर, अक्टूबर 2025 महंगाई का 0.25% का आंकड़ा भारत की आर्थिक स्थिरता और विवेकपूर्ण नीति-निर्माण (Prudent Policymaking) की सफलता को दर्शाता है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक उज्ज्वल संकेत है, जो आगामी महीनों में विकास को समर्थन देने के लिए आरबीआई ब्याज दर में कटौती की संभावनाओं को प्रबल करता है। सीपीआई में आई यह ऐतिहासिक कमी निश्चित रूप से देश को एक मजबूत और संतुलित आर्थिक भविष्य की ओर ले जाएगी।

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