ग्रेटर नोएडा, 13 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): किसान आंदोलन (Kisan Andolan) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार केंद्र उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण क्षेत्र, ग्रेटर नोएडा के पास यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) बना है। बुधवार को आयोजित किसान महापंचायत के दौरान पुलिस और किसानों में झड़प की गंभीर घटना सामने आई है। जिसके कारण एक्सप्रेसवे पर घंटों तक यातायात (Traffic) बाधित रहा और क्षेत्र में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा बन गई। यह टकराव कोई आकस्मिक घटना नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के किसानों की दशकों पुरानी भूमि अधिग्रहण (Bhumi Adhigrahan) और मुआवजे से संबंधित लंबित मांगें (Kisano ki Maange) का परिणाम है।

येडा (YEIDA) क्षेत्र के किसानों की मुख्य मांगें

यह किसान महापंचायत मुख्य रूप से यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) से प्रभावित किसानों द्वारा बुलाई गई थी। इन किसानों की निराशा लंबे समय से चल रही है, जिसे किसान प्रदर्शन (Protest) नहीं, बल्कि अपने हक़ के लिए लड़ाई बता रहे हैं।

क्या हैं किसानों की मुख्य मांगें?:

  • बढ़ा हुआ मुआवजा: किसानों की सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत उनकी अधिग्रहित भूमि के लिए उचित और बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए। उनका आरोप है कि अधिकारियों ने उनकी उपजाऊ जमीनें सस्ते दामों पर ले ली हैं।
  • विकसित भूखंड (विकसित प्लॉट): किसान चाहते हैं कि उन्हें येडा द्वारा विकसित योजनाओं में विकसित आवासीय और औद्योगिक भूखंड दिए जाएँ, जो आमतौर पर 10% आबादी भूखंड के रूप में जाने जाते हैं। यह उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पुरानी पेंशन योजना (OPS) की मांग: कुछ किसान समूहों ने अपनी मांगों में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जैसे व्यापक राष्ट्रीय मुद्दों को भी शामिल किया है, हालाँकि यमुना एक्सप्रेसवे टकराव का मुख्य केंद्र भूमि अधिग्रहण ही रहा।
  • फ्री होल्ड की मांग: किसान प्राधिकरण से ली गई अपनी जमीनों को फ्री होल्ड (Free Hold) करने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें संपत्ति के पूरे अधिकार मिल सकें।

महापंचायत से टकराव तक का पूरा घटनाक्रम:

किसान महापंचायत शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुई थी, लेकिन जब किसानों ने अपनी मांगों को लेकर यमुना एक्सप्रेसवे को जाम करने की कोशिश की, तो स्थिति बिगड़ गई। किसानों का उद्देश्य प्रदर्शन के माध्यम से सरकार और येडा अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई का दबाव बनाना था।

    • एक्सप्रेसवे जाम: किसानों ने बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर यमुना एक्सप्रेसवे के महत्वपूर्ण हिस्सों पर अवरोध (Blockade) डाल दिया, जिससे दिल्ली और आगरा के बीच यातायात पूरी तरह से रुक गया।
    • पुलिस की कार्रवाई: कानून व्यवस्था को बनाए रखने और एक्सप्रेसवे को खाली कराने के लिए पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। शुरुआती अनुरोधों के विफल होने पर, स्थिति जल्द ही झड़प में बदल गई।
    • लाठीचार्ज और गिरफ्तारी: पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया, जिसमें लाठीचार्ज भी शामिल था। इस दौरान कई किसान घायल हुए, और बड़ी संख्या में किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया। इस घटना ने पुलिस और किसानों में झड़प की पुरानी तस्वीरों को फिर से ताजा कर दिया।

यमुना एक्सप्रेसवे एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और परिवहन गलियारा है। इस पर किसी भी तरह का किसान आंदोलन न केवल ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में औद्योगिक निवेश को प्रभावित करता है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के लिए भी एक चुनौती पेश करता है। सरकार और येडा के लिए, इस तरह के प्रदर्शन को नियंत्रित करना और किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान खोजना एक अनिवार्य आवश्यकता है।

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