महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिलों के प्रगतिशील सजावटी मछली किसानों ने ICAR -केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-CCARI), गोवा का दौरा किया। इस अवसर पर किसानों ने संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ तकनीकी मार्गदर्शन और संभावित सहयोग पर चर्चा की। बैठक का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में सजावटी मछली पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देना था।
किसानों ने संस्थान के सजावटी मछली इकाई का दौरा किया और आईसीएआर-सीसीएआरआई द्वारा दी जानेवाली सभी तकनीकी सहायता की प्कीरशंसा। किसानों ने बताया कि संस्थान की यह सहायता तटीय किसानों की आय और आजीविका को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
किसानों ने की अतिरिक्त सहायता की मांग :
– महाराष्ट्र में सजावटी मछली किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन।
– मछली किसान उत्पादक संगठनों (FFPOs) के गठन और पंजीकरण में मदद।
– सजावटी मछलियों के विपणन में सहायता, ताकि बाजार का विस्तार हो और लाभ बढ़े।
– सजावटी मछलियों की प्रजनन तकनीक और लाइव फीड उत्पादन में विशेषज्ञता के लिए मार्गदर्शन।
इस दौरे और संवाद का सभी आयोजन श्री त्रिवेश मायेंकर और डॉ. श्रीकांत जी.बी. ने किया। यह बैठक किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हुई और तटीय क्षेत्रों में सजावटी मछली पालन को नई दिशा देने के लिए कारगर साबित होगी |
सजावटी मत्स्य पालन:
रंगीन और आकर्षक मछलियों को एक सीमित जलीय वातावरण में पालने का काम है। सजावटी मछलियों को उनके रंग-बिरंगे रंग और चंचल स्वभाव के कारण ‘जीवित रत्न’ भी कहा जाता है। सजावटी मछली पालन, परंपरागत मछली पालन का एक उप-क्षेत्र है।